[17/03 6:17 am] ‪+91 97022 81524‬: 🌿🌷जय बाबा स्वामी🌷🌿
   🌸🌸🌸🙏🌸🌸🌸

जिस मंत्र की शुरुआत संस्कृत में हुई थी लेकिन उस मंत्र को मान्यता हिंदी में मीली तो एक सामूहिक शक्ति हिंदी के साथ है। आप तो हिंदी अच्छी ही बोल सकती हैं। वे बोलीं , श्री विनोबा भावेजी के भी संपर्क में आते थे वे  हिंदी भाषा जानते ही थे। हिंदी भाषा को सीखने पवनार में विश्व के कोने-कोने से लोग आते हैं। और पवनार  आश्रम से हजारों लोगों ने हिंदी भाषा सीखी है। और हमें गर्व है कि यह हमारी राष्ट्रभाषा हैं। मैंने बातें आगे बढाते हुए कहा , जैसा मंत्र का जाप मैंने बचपन से किया तो मैं एक पवित्र आत्मा बना। शरीर का अहंकार मैं निर्माण हो ऐसा कोई कार्य मेरे शरीर से नहीं हो सका। क्योंकि ऐसी ही आसपास परिस्थितियाँ रहीं और ऐसे पूछोगे तो मुझे कुछ कमी नहीं है। अच्छी पत्नी है , एक अच्छी आमदनी धर में आती है। मुझे तीन बच्चे है। अच्छा धर है , सब है। लेकिन जो है। उसमें मैं नहीं हूँ । और उसमें न मेरा कोई योगदान है। दुसरा , इसकी कोई मुझे आत्मग्लानी नहीं है। मैं यह सत्य स्थिति सामने रख रहा हूँ कि परमात्मा अपने माध्यम को आवश्यक सुख-सुविधा सब देता है। ताकि मैं का अहंकार ही निर्माण न हो सके। और परमात्मा को मेरी लगनेवाली प्रत्येक आवश्यकता के पूर्व ही वह पूर्ण कर देता है। भले ही वह मुझे मालूम भी न हो।
👉👉 From Jadeja ji 👆👆
भाग -६  -१५१
[17/03 8:23 am] ‪+91 72196 19771‬: 🙏🏻 *॥ जय बाबा स्वामी॥* 🙏🏻

भगवान तो वास्तव में वह ब्रह्मचैतन्य है जो सारे ब्रह्मांड में फैला पड़ा है। और वह तो सर्वत्र विद्यमान है, पर जो मनुष्य अपने अस्तित्व को उसमें समर्पित कर देता है, वह मनुष्य उस ब्रह्मचैतन्य का माध्यम बन जाता है और वह ब्रह्मचैतन्य उस मनुष्य के भीतर से प्रवाहित होना शुरू हो जाता है। और शरीर से निकलने वाला वह प्रवाह इतना तेज होता है कि मनुष्य का अस्तित्व हीं नजर नहीं आता है। और दुसरा , जो उस व्यक्ति को देखता है , उसे उसका शरीर दिखता ही नहीं है। दिखता है केवल चैतन्य , वह ब्रह्मचैतन्य जो दिखता कम है , पर अनुभव अधिक होता है। और उसी अनुभव से सामने वाले मनुष्य की आत्मा शांति को प्राप्त करती है। और उस व्यक्ति को प्राप्त हुई आत्मशांति ही उसे परमात्मा का आभास देती है। और यह आभास जीवन में कभी हुआ नहीं होता है , इसलिए फिर वह व्यक्ति ब्रह्मचैतन्य के उस माध्यम को ही परमात्मा मानने लग जाता है।

*हिमालय का समर्पण योग २/१६०*

🙏🏻 *॥आत्म देवो भव:॥* 🙏🏻
[17/03 8:25 am] ‪+91 72196 19771‬: 🌸॥ " माँ  " ॥🌸
पुष्प = १=पृष्ठ ३७

     वे [ आगंतुक ] कह  रहे  थे ,"लोग  धर्म  और  आध्यात्म  में  भेद  नही  समझते ।आध्यात्म  में  आत्मा  का  अध्ययन  होता  है , इसमें  कोई  कर्मकांड  नही  होता ।धर्म  में  कम  या  जादा  कर्मकाण्ड  होते  है ।धर्म  हमें  आध्यात्म  तक  पहुँचने  में सहायता  करते  है  किंतु  आध्यात्मिक  प्रगति  के  लिए  धर्म  तथा  धार्मिक  कर्मकांडों  से  ऊपर  उठना  होगा ।
{ आगंतुक }
[17/03 10:06 am] ‪+91 74059 42121‬: 🌸श्री गुरुशक्ति आवाहन 🌸
🎍संदर्भ :-- आत्मेस्वर 🎍
💎कुछ अंश 💎

     मेरी  बताने  की  भी  एक  सीमा  है उससे  अधिक   मैं  आपको  नही  बता  सकता । आप  आपके  आत्मा  पर  चित्त  रखकर  ध्यान  करो ,आत्मा  जिस  स्थान  पर  होती  है , वह  स्थान  बर्फ  जैसा  ठंडा  अनुभव  होगा । यह  मेरा  अनुभव  है । आप  अपना  स्वयं  का  अनुभव  लेकर  देखो । आध्यात्मिक  क्षेत्र  तो समुद्र  के  समान  है । . . .

पूज्य गुरुमाऊली ~~~🕉
[17/03 2:15 pm] ‪+91 72196 19771‬: 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

हमारे   जीवन   की   समस्याएँ   भी   इतनी   काली   बिंदु -सी   होती   है । लेकिन   हमारा   चित्त   तो   वही   जाता   है , उस   काले   बिंदु   पर । अरे , बाकी   पूरा   इतना   बड़ा   सफेद   पेपर   है , वो  क्योँ  नही   दिख   रहा   है । गुरुदेव   की   एनर्जी   है , वो   श्वेत   जो   इतना   बड़ा -सा   पेपर   है   ना , वो   गुरुदेव   की   एनर्जी   है ।  और   वो   जो   काला   छोटा -सा   डॉट   है , वह   वो   समस्याएँ   है ,  वह   वो   भोग   है   जो   हमे   भोगने   बाकी   है ...  वो   भोगने   ही   है , तो   उसकी   ओर   चित्त   क्यों  रखना ?
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परमपूज्य गुरुदेव
गूरूपूर्णिमा २०१६

🙏जय बाबा स्वामी 🙏

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