🙏🏻 *॥जय बाबा स्वामी॥* 🙏🏻

शरीर से मेहनत हो सकती है , शरीर से कड़ा परिश्रम हो सकता है , पर शरीर से शरीर पर नियंत्रण नहीं हो सकता है। शरीर शरीर पर नियंत्रण कर ही नहीं सकता है। शरीर पर नियंत्रण के लिए कोई और उच्च होना चाहिए और वह 'उच्च' आत्मा है। प्रत्येक मनुष्य की आत्मा जितनी सशक्त होगी , नियंत्रण उतना ही अधिक हो पाएगा और शरीर जितना अधिक आत्मा के अधीन होगा , उतनाहि नियंत्रण में होगा। और एक स्वनियंत्रित शरीर सदैव सही मार्ग पर ही होगा। वह गलत मार्ग का चुनाव भी करे, तो भी वह गलत मार्ग पर चल ही नहीं सकता है। मनुष्य की आत्मा उसे सदैव सही मार्ग पर ही रखेगी और मनुष्य सदैव स्वनियंत्रित ही होगा। और मनुष्य के शरीर पर उसकी आत्मा का नियंत्रण तभी हो सकता है , जब अपने शरीर पर नियंत्रण करनेवाली आत्मा उसे गुरू के रूप में मिले। वह नहीं मिला , तो फिर शरीर ही जीवन है और जीवन ही शरीर। और शरीर और जीवन दोनों नाशवान है तो कर्म भी , प्रयत्न भी नाशवान ही होंगे।

*हिमालय का समर्पण योग २/१३१*

🙏🏻 *॥आत्म देवो भव:॥* 🙏🏻

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