🙏🏻 *॥जय बाबा स्वामी॥* 🙏🏻
उस दिन लगा कि अंदर के 'मैं' को लगता है कि मैं वह उच्च स्थिति फिर से प्राप्त कर लूँगा , पर यह मेरा अहंकार है। वास्तव में , गुरूकृपा जब होती है तो केवल गुरू की करुणा में ही होती है और करूणा तो परमेश्वर की कृपा है , वह कोई अपनी इच्छा से थोडे ही आमंत्रित कर सकता है, वह बुला थोडे ही सकता है? केवल एक उपयुक्त स्थिति होने पर वह करुणा हो जाती है। उस दिन वह स्थिति रही होगी , इसलिए वह करूणा हो गई थी।
*हिमालय का समर्पण योग २/१८६*
🙏🏻 *॥आत्म देवो भव:॥* 🙏🏻
Comments
Post a Comment