जितना बाँटोगे, उतना बढ़ेगा

"तुम्हारा जन्म ही ज्ञान पाने के लिए नहीं, ज्ञान बाँटने के लिए हुआ है | तुम्हारे जन्म का रहस्य है - अपने आश्वासनों को पूर्ण करना |"
"इस पाने की धारा को ही बदलना है | अब उसे देने की धारा में ही परिवर्तित करना है | अब इस ज्ञान को जितना बाँट सको, बाँटो | जितना बाँटोगे, उतना बढ़ेगा | क्योंकि यह कार्य तो बहुत बड़ा है जो अनंतकाल तक चलने वाला है | कुछ ही पवित्र आत्माएँ हैं जो तुमको जान पाएँगी, मान पाएँगी और तुम्हारा माध्यम बन पाएँगी |"

(हिमालय का समर्पण योग, भाग -3, पेज 79)

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