🌞मनुष्य  की  देने  की  शक्ति  अपार  होती  है । जो  अपनी  देने  की  शक्ति  को  संपूर्णत:  विकसित  कर  लेता  है , वह  व्यक्ति  अपार  दे  सकता  है ।क्योँकि  देने  की  शक्ति  पर  ही  उसकी  पाने  की  शक्ति  निर्भर  होती  है ।जिस  प्रकार  से  पहाड़  से  ढलान  की  और  पानी  स्वयं  ही  चला  जाता  है ,पानी  को  भेजना  नही  पड़ता  है ,ठीक  इसी  प्रकार  से ,जहाँ  पर  शक्तियों  का उपयोग  होनेवाला  होता है ,शक्तियाँ  स्वयं  ही  खींचकर  चली  जाती  है ।
ही.का.स.योग...1...

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