🌹जय बाबा स्वामि🌹
                                      
" आत्मसाक्षात्कार आसानी से मिला था  लेकिन   वासनाएँ पूर्ण नष्ट नहीं हुई थीं। इसलिए इस जन्म में भी शादी की संसारिक सुख भोगने के लिए लेकिन वह भी नियति का एक खेल था।  बाद में पत्नी भी पुत्र को लेकर भाग गई और  अन्य किसी के साथ रहने लगी। और इस घटना   से जीवन में विरक्ति आ गई और फिर पत्नी और बच्चे में से चित्त हट गया। पत्नी अगर मर जाती तो वह शहीद हो जाती (अच्छी यादें छोड़ जाती) और फिर तुम उसकी यादों में ही फँसे  रहता। इसलिए वह पुत्र को लेकर भाग गई ताकि तुम्हारी उसके प्रति आसक्ति ही समाप्त   हो जाए। सब ऊपरवाली शक्तियों के खेल होते  हैं जिसे ' नियति ' कहते हैं।"
   
"इसलिए," मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ?" इस प्रश्न का उत्तर है कि तुम्हारे साथ ही ऐसा होना योग्य था क्योंकि तुम्हारा जीवन का उद्देश ही कुछ और था।"वह मनुष्य मुझे देखता ही रह गया।
"आप सब कैसे जान गए?" उसने आशचर्यचकित होते हुए पूछा, "आप का बताया हुआ एक-एक शब्द सत्य है। मेरी पत्नी  मेरे बच्चे को लेकर किसी के साथ भाग गई   और मुझे अकेला  छोड़ गई। मै आ भी गया हूँ  और ध्यान भी कर रहा हूँ लेकिन यह प्रश्न मेरे मन में प्रत्येक दिन आता है - मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ, मैं ने  कौनसा पाप किया था जो मेरे  ही जीवन से पत्नी और बच्चे का सुख चला  गया? और आज तक मैं अपने आपको ही  कोस रहा था। आज आपने मेरी आँखें खोल दीं ! आज मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गया कि मेरे ही साथ ऐसा क्यों हुआ। मेरे साथ यह  इसलिए हुआ क्योंकि घर- संसार करने के लिए मैं आया ही नहीं था। मेरे जीवन का उद्देश्   मोक्षप्राप्ति था और उस मोक्षप्राप्ति के बीच जो संसारिक बाधाएं थीं, वे सब नियति ने दूर कर  दीं, यही एकदम सच है।

हि स यो -४, पेज. ४०

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