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Showing posts from July, 2018

टाटा मुंबई मैराथन 2018

जय बाबा स्वामी🙏🏻 टाटा मुंबई मैराथन होगी - 20 जनवरी 2019 (Sunday ), सुबह मुंबई में. 🏃🏽‍♂🏃‍♀🏃‍♀🏃🏻‍♀🏃🏻‍♂🏃🏽‍♂🏃‍♀🏃🏽‍♂ इसमें अलग अलग रेस की जानकारी और registration dates नीचे दी गई है। रेस केटेगोरी   ...

आप अकेले में आओ,तब मेरा एहसास होगा । बाबा स्वामी

आप अकेले तो कभी होते ही नहीं हो,मै सदैव आपके साथ ही रहता हूँ । सिर्फ आप अकेले में आओ,तब मेरा एहसास होगा । मै रोज प्रत्येक साधक के हृदय के दरवाजे पर जाकर नाॅक करता हुँ, बजाते रहता...

मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ

आजकल  जो  मैं  आपको  बार -बार  ध्यान  कराते  समय  कह  रहा  हूँ  की  "मैं  एक  पवित्र   आत्मा  हूँ , मैं  एक  शुद्ध  आत्मा  हूँ , " ऐसा  तीन  बार  बोलो  तो  ध्यान  खुद -ब -खुद  लग  जाएग...

नियमित   ध्यान  

जब   हम   नियमित   ध्यान   करते   हैं , साधना   करते   हैं   तो   ध्यान   करते -करते   हमारे   भीतर   की   जो   इन्द्रियाँ   हैं   वो   अपने   आप   वश   में   रहती   हैं   क्...

गुरुपौर्णिमा

।। गुरुपुजन होने के पूर्व का स्वामीजी का सभी साधको के लिये संदेश ।। गुरुपुजन होने के पूर्व एक दो शब्द आपको केहने जा रहा हु। आप मे से कितने लोगो ने शिर्डी महाशिबिर अटेंड किय...

गुरुपूर्णिमा 2018 का  स्वामीजी के प्रवचन के कुच अंश

गुरुपूर्णिमा में स्वामीजीने एक बात बताई की ..... ध्यान के समय मे मुजे खाँसी आती है वो आपने देखा कि नही मुजे मालूम नही लेकिन मेने जाना की आप लोग नियमित ध्यान नही करते... शिर्डी शिब...

Guru Poornima Special... ✒

🌸 गुरु के शरीर से एक प्रक्रिया अविरत चलते रहती है, वह है शिष्य के चित्त के शुद्धिकरण की प्रक्रिया 🌸 शिष्य के चित्त की अशुद्धि गुरु सदैव ग्रहण करते ही रहते हैं 🌸 इसीलिए गुरु ...

लीपस्टीक

एकबार की घटना है।महात्मा गांन्धी के मृत्यु के बाद एक बार उनके पुत्र और बहु की फोटो पेपर मे छपी तो बहु के लिपस्टीक की काफी चचाे हुयी थी। लिपस्टीक उस जमाने भी सामान्य ही घटना ...

Lipstick

It happened once, that a picture of Mahatma Gandhi’s son and daughter-in-law got published in a newspaper after his death. And there was lot of gossip about the lipstick that his daughter-in- law wore in that picture. Now wearing lipstick was an ordinary thing even in those days yet it attracted gossip because it was worn by Mahatma Gandhi’s daughter-in-law. Such things happen, that a person who is considered as an ‘ideal’ by society has boundaries drawn around him. But it is not necessary that all his family members may fit into these boundaries. Some members may not, but people view everyone through the same boundary. Every person takes birth only to endure his/her karmas from his/her previous birth. Nobody can escape the karmas of their previous birth, no matter who that person is. Lots of blessings to all of you on the eve of Guru-Poornima. May this Guru-Poornima bring great spiritual heights to your life, these are my prayers to God.    ...

समर्पण की दृष्टि

यदि हम समर्पण की दृष्टि से देखें , तब भी देह ये बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि देह क्या है? देह आत्मा का वाहन है। और आत्मा का ये वाहन जब तक अच्छा होगा , सही स्थिति में होगा , तभी तक हम...

Faithful Dog

Once I had this curiosity in my mind that why are ‘dogs’ found in the proximity of all places belonging to Gurus. My Gurudev laughed and said that actually a Satguru is like a 'faithful dog’. No matter how much his master shuns him or hits him, the ‘faithful dog’ will neither bite him nor think ill about him. The ‘Satguru’ is also the same. No matter how they treat him, but a Satguru will always do good for his sadhaks. Because doing good is his innate nature. This is why dogs gather around a Guru’s place. Circumstances ‘test’ the sadhak’s sense of surrender because a Satguru is beyond the sense of physicality (physical body). So circumstances do not affect Him. 🌺Leaving aside a few raw sadhaks all other sadhaks have meritoriously passed the test taken by circumstances. Congratulations to all of you. Lots of blessings to all of you!             ...

वफादार कुत्ता

एक बार मेरे मन मे जिज्ञासा हुयी की सभी गुरू स्थानो के सानीध्य मे” कुत्ते” क्यो होते है। मेरे गुरूदेव ने हंसते हुये कहॉ था की वास्तव सदगुरू एक “ वफादार कुत्ते” की तरह ही होत...

Gurupoornima 2018

|| Jai Baba Swami || Dear All, Gurupoornima 2018 event is coming closer and all of us are eagerly waiting for P. P. Swamiji to shower there blessings on all of us. The Gurupoornima Event schedule as well as the video broadcast link is now online on our official website. Please click the following link to visit our page. https://en.samarpanmeditation.org/main/event/9 Thanks & Regards Anurag https://youtu.be/0y-5hvvvMy8

गुरुकार्य

तीन दिन के सान्निध्य पे आज पूरा जीवन व्यतीत कर दिया। क्यों? क्योंकि अभी गुरुकार्य में ही गुरु को अनुभव कर रहा हूँ। गुरुकार्य कर रहे है- गुरु के सान्निध्य में हैं , गुरु पास मे...

प्रगतिशील समाज की परिभाषा

अब तो प्रगतिशील समाज की परिभाषा ही यह हो जाएगी कि आप आपके कितने दरवाजे खोल पाते हो। हमने आसपास इतने सारे दरवाजे घर को बना रखे हैं , जो जब तक हम खोलते नहीं हैं , हमारी प्रगति कभी ...

संपूर्ण समाधान

संपूर्ण  समाधान  से  आशय  आत्मा  के समाधान  से  हैं । यह  समाधान  आपको  प्राप्त  हुआ  हैं  क्या ? आप  आपका  ही  आत्मचिंतन  करो । क्या  मुझे  संपूर्ण  समाधान  प्राप्त  हुआ  ...

मनुष्य समाज का विकास

हमारे मनुष्य समाज का विकास तभी संभव है , जब हम प्रकुतिमय हो जाएँ। हमको जो प्रकृति ने निर्माण किया है , वैसे ही हो जाएँ। प्रकृति की एक विशेषता है , वह सभी को समान बाँटती है। सूर्य ...

सुबह का ध्यान

सुबह का ध्यान हमारी आध्यात्मिक प्रगति करता है या ये समजे की सुबह ध्यान करके हम शक्तीयाँ  प्राप्त करते है। और शाम को ध्यान करके हम शक्तीयाँ बाँटते है, शाम का ध्यान सामूहिकत...

आत्मा का शरीर पर नियंत्रण

जो मनुष्य अपने ऊपर नियंत्रण कर पाता है, वही मनुष्य किसी के सामने झुक सकता है, किसी से मार्गदर्शन ग्रहण कर सकता है, किसी को गुरु मान सकता है | मेरा जीवन ही शायद इस बात के सबक के लि...

आप अपने पूण्य कर्मों के कारण मेरे तक पहुंचे हो । - बाबा स्वामी

आप अपने पूण्य कर्मों के कारण मेरे तक पहुंचे हो । अब वे समाप्त हो गये है । अब फिर हम जीवन में फिर मिलेंगे या नहीं, इसलिए कहता हूं - अपनी आत्मा को ही गुरु बनाओ तो गुरु के रूप में मैं ...

आत्मचिंतन

मैं  साधकों  की "माँ " बना  पर  साधकों  का "गुरू " कभी  न  बन  सका  जबकि  मुझे "आत्मज्ञान " माँ " से  नहीं ,"गुरू "से  मिला  था । मनुष्य  मरते  दम  तक  अपनी "माँ " औऱ  "गुरू " दोनों  को  'कभी  न...

On 15th July France has won the World Cup

First one match was played and then there were some free days; then another match would be held, and again there would be some free days. This went on continuously and in the end the final match was held and France won it. There used to be some free days between every match, and during this free time the team would have theory classes - and there would be discussions on how the match should be played, what strategy should be followed. Then the match that was played would be like the practical of it. And this theory class was held by every team. But the final match was won by only that team which diligently followed what had been decided in the theory class. And the team which followed it sincerely won the finals. Just like the football team, when we leave our physical body, then a class is similarly held for our soul. Then, what we have done in our life and what we should have done is analysed. 🌺 And when we assume another physical body, then if we play the match of our ...

15 जुलाई को फ्रॉन्स ने फुटबॉल का विश्व कप जीता है।

पहले एक मैच हुआ फीर बीच मे छुट्टी थी फीर मैच होता था फीर बीच मे छुट्टी होती थी यह क्रम लगातार चलता रहा और अंन्त मे फायनल मैच हुआ और वह फ्रॉन्स ने जिता प्रत्येक दो मैच के बीच बीच...