आत्मज्ञान

सम्पूर्ण समग्र ज्ञान वह ज्ञान है जिसमें आपके हाथो से केवल पुण्यकर्म घटित हो। पर एसी समग्र ज्ञान मी व्यवस्था समाज में नहीं है। और वह व्यवस्था  है- आत्मज्ञान। एक बार मनुष्य के भीतर आत्मज्ञान का दीपक जल जाए, तब सब ज्ञान भीतर से ही मिलना प्रारम्भ हो जाता है।

बाबा स्वामी
HSY 1 pg 459

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