आत्मा ने परमात्मा को पा लिया

आत्मा ने परमात्मा को पा लिया , यह समाधान ही आत्मा को शांति प्रदान करता है। यह आत्मशांति , एक ओर परमात्मा की खीज में जो ऊर्जा खर्च हो रही थी , जो समय व्यर्थ हो रहा था वह बचाती है , वहीं दूसरी ओर आत्मा तथा परमात्मा को एकाकार करने में सहायक होती है। परमात्मा को पा लिया , यह आत्मा के जीवनकाल का सबसे बड़ा समाधान है , वह समाधान ही आध्यात्मिक प्रगति की , आध्यात्मिक साधना की शुरुवात है। क्योंकि इसके बाद सारी प्रगति भीतर की ओर ही होती है। हमारी दिशा ही समाधान प्राप्त करने के बाद बदल जाती है।
शरीरिक समाधान जहाँ और आगे बढ़ाने और समाधान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है , वहीं दूसरी ओर शाश्वत आत्मा का समाधान हमें लौट जाने को कहता है और हमारी भीतरी यात्रा प्रारंभ होती है। और फिर भीतर से ही आपको आनंद आना प्रारंभ हो जाता हर। फिर आप आनंद के क्षेत्र में स्वावलंबी हो जाते हैं। आपको आनंद पाने के लिए किसी भी वस्तु की , किसी भी अन्य की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है। आप अपने आप में ही मस्त हो जाते हो। यही कारण है कि हिमालय में निर्जन स्थानों पर सालों साधनारत रहकर सदैव इसी स्थिति का अनुभव करते हैं। दूसरा , यह सब स्थिति आपको निःशुल्क प्राप्त हो जाती है , इसके लिए आपको कुछ खर्च नहीं करना होता है। क्योंकि यह समाधान कभी पैसों से खरीदा ही नहीं जा सकता है। हम पैसों से खरीदते हैं वह सदैव सुविधा होती है। निर्जीव वस्तुएँ हमें सुख दे सकती हैं , वह सदैव हमें सुविधा देती है और उस सुविधा के क्षणिक सुख को ही हम सुख समझ बैठते हैं। सुख सदैव आत्मा का शुद्ध भाव है , वह कभी क्षणिक नहीं होता और न उसे कभी भी खरीदा जा सकता है। इस आत्मासुख का अनुभव आपको इस स्थान पर पहुँचकर मिलता है।

भाग - ६ -२६५/२६६

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