पारसमणि

हम   मानव   सारा   जीवन   व्यर्थ   की   चिंता , आत्मग्लानि , अहंकार , प्रतिशोध   रूपी   भावनात्मक   कबाड़   तथा   सुख   संपदा   के   साधन   रूपी   भौतिक   कबाड़   इकट्ठा   करते   रहते   है । आइए , ध्यान   कर   आत्मा   रूपी   पारसमणी   को   सशक्त   करे   तथा   जीवन   के   सूर्यास्त   से   पहले   जीवन   स्वर्णिम   बनाए ।

**पूज्या  गुरुमाँ **
[ मधूचैतन्य ]
ज .फ .मा .२०१४

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