आत्मशांति का अनुभव
एक आत्मशांति का अनुभव हमें इस स्थान पर जाकर मिलता है। सारी भाग-दौड़ और सारी हड़बड़ सारी खोज ही समाप्त हो जाती है। जो दौड़ हमने जन्मों-जन्मों से की है वह दौड़ समाप्त हो जाती है और उस शांति के तालाब में फिर सहस्त्र कमल खिलते हैं। इस चक्र पर आकर आपको अनुभूति होती है कि हजारों कमल आपके इस स्थान पर एकसाथ खिल गए हैं। वास्तव में , इस चक्र पर हजारों पंखुड़ियाँ होती हैं और वे खिल जाने के बाद इस प्रकार की अनुभूति होती है। यहाँ पहुँचकर साधक एक समाधान की स्थिति को अनुभव करता है। और उसके बाद साधक के इस चक्र से एक अमूत रस निकलता है , वह रस धीरे-धीरे समूचे शरीर पर ही फैल जाता है और वह बहते-बहते हमारे सभी ऊर्जा केंद्रो को , सभी चक्रों को , सभी नाड़ियो को शक्ति और नई ऊर्जा प्रदान करता है और हमारे समूचे शरीर में ही हम एक प्रकार का नवचैतन्य अनुभव करते हैं। इस प्रक्रिया में दो बातें धटित होती हैं - एक तो जो अंग या चक्र थक चुके होते हैं , उन्हें आराम लगता है , दूसरा , उन सभी चक्रों , उन सभी ऊर्जा स्थानों को एक नई ऊर्जा प्राप्त हो जाती है , जिससे उनकी कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। यह सब अति सुक्ष्म रुप से होता है। लेकिन इसी के कारण आप अपने को ध्यान करने के बाद प्रसन्न महसूस करते हो। आप इस स्थान पर अपना चित्त ले के जाने के लिए अपने दाहिने हाथ के तलवे का भी उपयोग कर सकते हैं ।
भाग - ६ - २६६/२६७
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