प्रश्न :- स्वामीजी आपका सच्चा स्वरूप क्या है और आपका भविष्य क्या है ?

प्रश्न :- स्वामीजी आपका सच्चा स्वरूप क्या है और आपका भविष्य क्या है ?

स्वामीजी :- मेरा सच्चा स्वरूप जानने के लिए यह देह की आँखें पर्याप्त नहीं है। इसलिए इन आँखों को बंद कर लो। अपनी सारी एकाग्रता अपने सहस्रार पर स्थिर करो और अपने भीतर की आत्मा की आँख खोल दो। और आत्मा की आँख खोल करके फिर उस स्वरूप को प्राप्त करो,उस स्वरूप के दर्शन करो जो स्वरूप आपके और मेरे भीतर समान रूप से व्याप्त है। तो उससे आपको यह जानने का अवसर प्राप्त होगा कि मैं कौन हूँ, क्या हूँ ? लेकिन उससे पहले प्रथम आपको.,आप कौन हैं, क्या है, ये जानना अत्यंत आवश्यक है। तो आपसे ही मेरी यात्रा प्रारंभ होगी। उसकी शुरुआत प्रथम आप आपसे ही करो।
रही बात भविष्य की, मेरा खुद का कोई भविष्य नहीं है क्योंकि मेरा खुद का कोई अस्तित्व ही नहीं है। मैंने मेरा सारा अस्तित्व आपके हाथों में सौंप दिया है। मेरा भविष्य आप हो और उसी भविष्य को सुधारने का प्रयास कर रहा हूँ, उसी के लिए कार्यरत हूँ।
 
(युवा शिविर 2008)

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