मनुष्य समाज का विकास

हमारे मनुष्य समाज का विकास तभी संभव है , जब हम प्रकुतिमय हो जाएँ। हमको जो प्रकृति ने निर्माण किया है , वैसे ही हो जाएँ। प्रकृति की एक विशेषता है , वह सभी को समान बाँटती है। सूर्य भगवान सभी को प्रकाश देते हैं , सभी को समान रुप से देते हैं किसी को भी भेदभाव नहीं करते हैं। अब हवा है , वह भी सभी को समान उपलब्ध है , वह भी किसी को अधिक या किसी को कम प्राप्त नहीं होती है। पृथ्वी है वह सभी को वहन करती है , कोसी को यह नहीं कहती कि मैं तेरे वजन नहीं उठाएगी।

भाग - ६ - २७२/२७३

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