मोक्ष का मार्ग' मुझे प्राप्त होता है तो मार्ग पहले मैं तुम्हें बताऊँगा और बाद में ही 'मोक्षप्राप्ति' करूँगा।
आप आत्माओं को मैंने पूर्वजन्म में वचन दिया था कि अगर 'मोक्ष का मार्ग' मुझे प्राप्त होता है तो मार्ग पहले मैं तुम्हें बताऊँगा और बाद में ही 'मोक्षप्राप्ति' करूँगा। आप आत्माओं की सामूहिक इच्छाशक्ति के कारण ही मुझे समाज में आना पड़ा। लेकिन वह बात मुझे याद है , *आप समय के साथ भूल गये हैं।*
मैंने सालों हिमालय में मोक्षप्राप्ति का मार्ग प्राप्त करके भी आपके 'जन्म' की प्रतीक्षा की है और आज भी कर ही रहा हूँ। आपकी आत्मा यह सब बातें जानती है। आत्मा को सब बातों का ज्ञान है लेकिन *आत्मा के उपर शरीरभाव का इतना अधिक प्रभाव है* कि यह बातें याद ही नहीं रहती है। वह सभी बातें याद आएँ इसलिए *आत्मा की संगत* करने को कहा था। आपने कितना सुना , आप ही जानो।
*सद्गुरू के हृदय से (३)*
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