ध्यान की प्रगति केलिए दो बाते महत्त्वपूर्ण

इस ध्यान की प्रगति केलिए दो बाते महत्त्वपूर्ण हैं - एक तो नियमितता ध्यान में होना चाहिए ; कभी किया तो कभी नहीं किया ऐसा मत करो। आप अब कल से नियमित ४५ दिन का एक अनुष्ठान करके देखो। आपको आपमें ही एक परिवर्तन नजर आएगा। जिस प्रकार से बीज बोने के बाद उसे अंकुरित होने में ४५ दिन लगते हैं , ठीक इसी प्रकार से , यह शिविर होने के बाद कल से आपका अनुष्ठान प्रारंभ हो जाएगा। आप स्वयं भी अनुभव लेकर देखो। ४५ दिन आप मेरे कहेनुसार ध्यान करके देखो। इतनी बड़ी जिंदगी आपने आपके मन के अनुसार रहकर निकली है। यह ४५ दिन के ध्यान करने के बाद अगर आपको अच्छा लगा , आपको कुछ लाभ हुआ , आपको कुछ शांति मिली तो आप उसे जीवन में लगातार करो और नहीं लगा तो छोड़ दो , कोई जबरदस्ती नहीं है। और आपको करके देखने में क्या जाता है ? बाकी आपका तो कुछ भी खर्च होने वाला नहीं । इन ४५ दिनों में आप आपको ही जान जाओगे। हम जीवन में अपने -आपको छोड़कर सारी दुनिया को जानने का प्रयास करते रहते हैं।
आप यब ४५ दिन का अनुष्ठान करके देखो और फिर आप अपना निर्णय लो ।

भाग - ६ - २५९/२६०

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