गुरु

गुरु को सदैव अनुभव करना चाहिए। तो अनुभव सदा एक सा ही रहेगा। अनुभव एक ही होगा क्यूकि सदैव परमात्मा के चैतन्य का प्रवाह ही बहते रहता है।

बाबा स्वामी
HSY 1 pg 451

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