आत्मा' की "माँ" तो वह "गुरु" ही है
आत्मा' की "माँ" तो वह "गुरु" ही है जिसने उसकी आत्मा को जन्म दिया । इसलिये महाराष्ट्र में गुरु को माउली यानी माँ कहा जाता है। यानी सही अर्थ में *गुरु* शिष्य की माँ होती है और शिष्य गुरु का *पुत्र* होता है। इसलिये जिस प्रकार से पुत्र ने गलत कार्य करने पर उसकी बाप की बदनामी होती है , ठीक उसी प्रकार से शिष्य ने गलत कार्य करने पर लोग *गुरु* की बदनामी करते है ।
*गुरु शिष्य की माँ भी है और बाप भी है । इसलिये प्रत्येक शिष्य का कर्तव्य है की वह ऐसा कोई भी कार्य न करे जिससे माँ बाप समान उसके गुरु की बदनामी हो ।*
--- पूज्य गुरुदेव
🥀 *पवित्र आत्मा*, पृष्ठ:३३
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