नियमित ध्यान
जब हम नियमित ध्यान करते हैं , साधना करते हैं तो ध्यान करते -करते हमारे भीतर की जो इन्द्रियाँ हैं वो अपने आप वश में रहती हैं क्योंकी हम ध्यान करते हैं तो आत्मसंचालित होते हैं । जब हम आत्मसंचालित होते हैं तो हमारे भीतर की सारी सृजनात्मक , सारी सकारात्मक शक्तियाँ एक्टिवेट [ क्रियाशील ] होती हैं । औऱ जब वो क्रियाशील होती हैं , तो हमारे हाथ से केवल सृजनात्मक कार्य ही होते हैं ।
परम वंदनीय पूज्या ..
🌹॥ गुरुमाँ ॥ 🌹
चैतन्य महोत्सव 💎
🌞 २०१५ 🌞
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