Guru Poornima Special
गुरु के शरीर से एक प्रक्रिया अविरत चलते रहती है, वह है शिष्य के चित्त के शुद्धिकरण की प्रक्रिया
शिष्य के चित्त की अशुद्धि गुरु सदैव ग्रहण करते ही रहते हैं
इसीलिए गुरु के शरीर में उस अशुद्धि के कारण गर्मी आ जाती है और वह गर्मी गुरु के पैरों के तलुवों में महसूस की जा सकती है
शिष्य के चित्त को शुद्ध करने में यह अनायास ही आ जाती है
इसीलिए शिष्य का कर्तव्य है कि उसके कारण आई हुई गर्मी व दोष दूर करने में वह अपने गुरु की सहायता करे
इसीलिए गुरुपूर्णिमा में गुरू के पादपूजन का कार्यक्रम किया जाता है
गुरु ने सालभर तक जो शिष्य के चित्त को शुद्ध किया, उसका ऋण तो शिष्य अपने जीवन में कभी चुका नहीं सकता, लेकिन वह एक कृतज्ञता व्यक्त करने के भावस्वरूप पादपूजा करता है
इसीलिए आध्यात्मिक क्षेत्र में गुरू की पादपूजा का बड़ा महत्त्व होता है
हिमालय का समर्पण योग भाग-1
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