मुक्त अवस्था

* ध्यान  को  अगर  सरल  भाषा  में  समझा  जाए  तो  कुछ  नहीं  करना  ध्यान  हैं । कुछ  नहीं  करना  यानी , ना  शरीर  से  कोई  कर्म  करना , ना  मन  से  कोई  विचार  करना , ये  ध्यान  हैं । ठीक  इसी  प्रकार  से , कर्म  विहीन  रहना  मुक्त  अवस्था  हैं ।

* कोई  भी  कारण  आपके   नया  जन्म  लेने  का  बाकी  ही  नहीं  रहा  हैं । कोई  भी  इच्छा  आपको  आपके  जीवन  में  बची  नहीं  रही । एक  ऐसी  शून्य  की  स्थिती , एक  ऐसी  मुक्त  अवस्था , जब  आपको  अपने  जीवन  में कोई  इच्छा  ही  बाकी, कोई  भी  इच्छा  नहीं  हैं ; मनुष्य  की  सबसे  बड़ी  ईच्छा -और  जीना ..औऱ  जीना ..औऱ  जीना ..हैं ; वो  भी  इच्छा आपकी  समाप्त  हो  गई  हैं , आपको  कुछ  भी , जीने  की  भी  इच्छा  बाकी  नहीं  रही , ऐसी  शून्य  की  स्थिती जब  आपको  आपकें  जीवनकाल  में  प्राप्त  होती  हैं , उसी  अवस्था  को "मुक्त अवस्था "कहतीं  है

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परमपूज्य गुरुदेव
गुडी पढ़वा २०१७

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