दो  बातें  प्रत्तेक  को  स्वयं  के  लिए  कमानी  ही  पढ़ती  है ।

मेरे  पिताजी  ने  एक  बार  मुझे  समझाया  था , " दो  बातें  प्रत्तेक  को  स्वयं  के  लिए  कमानी  ही  पढ़ती  है । पहला  है "आदर " दूसरा  है "स्नेह "! ये  पद  या  पदवी  से  नहीं  मिलते , उसके  लिए  आदरपात्र , स्नेहपात्र  होना  पड़ता  है । वस्त्र , वाचा , विचार , व्यवहार  और  विश्वासपात्रता  से  आदरपात्र  होने  में  सहायता  मिलती  है ।

    वंदनीय मेरी गुरुमाँ
🌸॥ माँ ..पुष्प -1॥🌸
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