मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ

आजकल  जो  मैं  आपको  बार -बार  ध्यान  कराते  समय  कह  रहा  हूँ  की  "मैं  एक  पवित्र   आत्मा  हूँ , मैं  एक  शुद्ध  आत्मा  हूँ , " ऐसा  तीन  बार  बोलो  तो  ध्यान  खुद -ब -खुद  लग  जाएगा । यह  बोलने  के  बाद  उन  लोगों  को  भी  ध्यान  लग  गया  जो  साधक  भी  नहीं  हैं । यानी  इसका  दायरा  कितना  बड़ा  हैं , ये  दायरा  कितना  विशाल  हैं , इसका  अनुमान  इस  बात  से  लग  सकता  हैं । औऱ  ये  क्यों  ध्यान  लग  गया ? इसका  थोड़ा  प्रोसेस  समझ  लो । कुछ  भी  सत्य  को , किसी  भी  सत्य  को  अगर  आप  त्रीबार  कहते  हैं , तीन  बार  बोलते  हैं  तो  उसमें  से  एक  ऊर्जा  निर्माण  होती  हैं  औऱ  वो  ऊर्जा  निर्माण  होके  वो  सारे  आसपास  के  वातावरण  को  प्रभावित  करती  हैं , प्रभावशाली  होती  हैं । तो  वही  सत्य  मैं  बोल  रहा  हूँ  औऱ  कुछ  नहीं । यह  सत्य  हैं  की  मैं  एक  पवित्र  आत्मा  हूँ , मैं  एक  शुद्ध  आत्मा  हूँ । ये  तीन  बार  बोलने  के  बाद  में  एक  एनर्जी  जनरेट  होती  हैं , एक  ऊर्जा  निर्माण  होती  हैं । वो  ऊर्जा  का  प्रभाव  ही  सारे  लोगों  के  ऊपर  पड़ता  हैं , फिर  वो  साधक  हो  या  नॉन -साधक  हो , कुछ  फरक  नहीं  पड़ता । तो  यह  सत्य  हैं  औऱ  सत्य  को  ही  दोहराया  जाता  हैं , बार -बार  दोहराया  जाता  हैं । तो  दोहराने  से  उसका  प्रभाव  पड़ता  हैं ।

🎍परमपूज्य गुरुदेव
🌸चैतन्य महोत्सव           
   🌲 २ ० १ ३ 🌲

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