अच्छे भाव हमें सुख प्रदान करते है औऱ बुरे भाव हमें दुःखी करते है ।
प्रत्येक व्यक्ति पात्र है औऱ वह अपने भीतर न जाने क्या -क्या भर के रखता है ! स्नेह , विश्वास , भक्ति , संतोष जैसे अच्छे भाव औऱ क्रोध , घृणा , कायरता , अविश्वास जैसे बुरे भाव भी संजोकर रखता है । अच्छे भाव हमें सुख प्रदान करते है औऱ बुरे भाव हमें दुःखी करते है । जब बुरे भाव दुःखी करते है तो इन भावों को हम अपने भीतर स्थान देते ही क्यों है ? क्यों नहीं अपने पात्र को रिक्त रखते ? औऱ यदि दूषित भाव इस पात्र में आ भी जाए तो उसे खाली क्यों नहीं कर लेते ?
"माँ "
पुष्प - 2
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