समर्पण ध्यान

यह समर्पण ध्यान की पद्धति एक ऐसा माध्यम है , जिससे आप अपने आसपास के निसर्ग के साथ जुड़ सकते हैं। क्योंकि यह पद्धति ही मूलतः निसर्ग से ही समरसता पाकर मनुष्य ने सीखी है , यही कारण ही है कि निसर्ग की जो विशेषताएँ हैं , वे सभी विशेषताएँ इस ध्यान  के पद्धति में आ गई हैं। जिस प्रकार से निसर्ग के शक्तियाँ सभी मनुष्य के लिये समान अवसर निर्माण करती हैं , ठीक इसी प्रकार से इस पध्दति में भी प्रत्येक मनुष्य के लिए समान अवसर प्राप्त है। इसे अपनाकर कोई भी मनुष्य अपनी आध्यात्मिक प्रगति कर सकता है , फिर भले ही वह किसी भी जाति , धर्म या देश का क्यों न हो। दूसरा , इस पद्धति को अपनाकर सभी को एक समान अनुभूति का आनंद मिलता है। हाँ , शरीर की स्थिति के अनुसार किसी को पहले और किसी को बाद में मिलता है । इस पद्धति को अपनाकर कोई भी मनुष्य चाहे तो निसर्ग के साथ समरसता स्थापित कर सकता है और निसर्ग के साथ समरसता स्थपित हो जाने पर निसर्ग की शक्तियाँ उसमें से बहने लग जाती हैं। वास्तव में , इस ध्यान की पद्धती को अपना कर मनुष्य अपने शरीर के मैं के अहंकार को धीरे-धीरे कम करके पूर्णतः उससे मुक्त हो सकता है। यह ध्यान पद्धति कोई चमत्कार नहीं है , यह ध्यान पद्धति एक प्रकार की साधना है।

भाग - - २५६

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