केवल अनुभूति प्राप्त करने से ही कुछ नही होगा

केवल   अनुभूति   प्राप्त   करने   से   ही   कुछ   नही   होगा । अनुभूति   प्राप्त   करने   के   बाद   में   अपने   आपको   साधना   होगा । जो   साधनारत   है   वो   साधक   है । जो   सधा   हुआ   है , जो   बॅलन्स   है ,  जो   संतुलित   है ।  तो   संतुलित   व्यक्ति   के   प्रयत्न   संतुलित   रहते   है   और   उसका   रिज़ल्ट   संतुलित   आता   है ।

परमपूज्य गुरुदेव
चैतन्य महोत्सव
      २०१०

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