गुरुपौर्णिमा
।। गुरुपुजन होने के पूर्व का स्वामीजी का सभी साधको के लिये संदेश ।।
गुरुपुजन होने के पूर्व एक दो शब्द आपको केहने जा रहा हु। आप मे से कितने लोगो ने शिर्डी महाशिबिर अटेंड किया था ,हाथ उपर किजिये करिब करीब सभी ने किया था । उसके अंदर आपणे देखा होगा, उन लोगो ने कहा था की 3 - 3 घंटे का प्रवचन मत करना 2 घंटे करना क्योंकी वह उसकी व्हिडीओ शिबिर करना उनको तकलीफ होती है। मैने उनको कहा "तुम मेरा प्रवचन काट दोना, मेरे को कोई objection नहीं है ।" तो मैने भी बीच का रास्ता निकाला था, न 2 घंटे किया ,न 3 घंटे किया था 2.30 घंटे का कार्यक्रम किया था। और ये 2.30 घंटे का कार्यक्रम मे कंही भी प्रवचन के दौरान कभी खांसी नही आयीं।आपने मार्क किया कीं नही मालूम नही।कभी भी खांसी नही आयी, कभी पानी नहीं पिया, कभी भी रुका नही । दुसरा कभी भी एकांत मे आप उसकी DVD लगाकर देखो ,तो आपको ऐसा लगेगा प्रत्यक्ष आपसे ही बोल रहा हू। माने कंही पर भी मैने खुद्द ने ही चेक किया ना कंही पर भी ऐसा लग रहा था की प्रवचन नही कर रहा हूं या बलकी आपसे बाते कर रहा हू, एकदम वन टू वन बाते हो रही है, सामनेवाले से बात हो रही है।लेकिन ध्यान के दौरा खांसी आती ही थी। वही नही बता पाया लेकिन आज उसका रहस्यां बताता हूं। actually क्या है मालूम है, आप लोग ना कब समर्पण करोगे वो मालूम नही। actually में ही तुमको समर्पित होता हु। और समर्पित होने के बाद भी तुम्हारे सब दोष ग्रहण करता हु। लेकिन ग्रहण करने के बाद मेरे गुरुदेव मेरे विशुद्धी चक्र मे एक सिस्टम फीट करके रखा है की ,कोई भी negetiviti अंदर जाने ही नही देता , वह खांसी के द्वारा बाहर फ़ेक देता है। तो ऐसी खांसी पब्लिक के अंदर आये, ऐसी खांसी महाशिबिर मे आए ऐसी खांसी ओपन प्रोग्रॅम मे आए ,एकदम नये लोगो के सामने आए ,वहा तक तो बात हजम होती है । लेकिन ऐसी खांसी गुरुपौर्णिमा मे आए ,वह मुझे बहुत खराब लगा । गुरु यह अपेक्षा करता है की, तुम लोग सब शुद्ध होके, पवित्र होके,नियमित ध्यान करके आते ही हो तो यहा खांसी आनी ही नही चाहीये। एक और दुसरा 10-15 मिनीट हुए की तुम इतना disturb होते हो की ध्यान ही बंद करना पडता। मेरे को यहा से जाकर घर ध्यान करना पडा। यहा से ऊठना पडा था ध्यान मे से, जबकी ध्यान पुरा हुआ ही नही था। लेकिन आपके साथ नही कर पाया ।यहा जो खांसी आइ ना इसका मतलब नियमित ध्यान नही करते। में बडबड आते हुए भी गया ,एखादे भुसट बूठ्ठे की तरह, जैसे नियमित ध्यान नही करते, ध्यान नही करते ऐसा केहते गया तो कारण क्या है ,नियमित ध्यान नही करते।
आप सोचो ना आप की आत्मा ने आत्मसाक्षात्कार एक प्रोग्रामिंग के तहत बहुत महत्वपूर्ण बात बता रहा हु, ध्यान से सुनो, की एक प्रोग्रामिंग की तहत प्राप्त किया किया है। तुम्हारे बचे हुए जीवन के आधा घंटे को पकडलो। घंटो ध्यान करने को नही बोल रहा हु। आधा घंटा ही पकडलो ,उस आधे घंटे के अंदर तुमको उसका पूर्ण फायदा इसी जीवन मे मिलेगा यह प्रोग्रामिंग है। लेकिन समजलो आज अगर आधा घंटा तुमने ध्यान नही किया तो वह तुम्हारा आधा घंटा कम हो जायेगा।इसलीये एक ध्यान रखो और दुसरा आप केवल 30 मिनिट मेरे नाम पे बैठो बाकी सब मे करा लुंगा....अब इससे ज्यादा क्या बताउ ।सिर्फ 30 मिनिट मेरे नाम पर बैठो बस कुछ नही करने का है, बस दिया लगाना 30 मिनिट स्वामीजी के लियॆ बैठ रहा हु। मैने मेरे जीवन का अब मेरे को गुरुदक्षिणा मे तुम्हारे जीवन का आधा घंटा दान कर दो। तो कल से तुम्हारा जीवन कल से तुम्हारा दिन केवल साडे तेयीस घंटे का है। आधा घंटा तुम्हारा है ही नही,आधा घंटा मेरा है। तुम्हारा ध्यान नही लगे बीच मे कुछ भी होने दो तुम वहा से हिलने का नही आधा घंटा कही पर भी बैठो ,एकांत मे बैठो ,शांत जगह बैठो जहाँ से ध्यान लगे न लगे वह तुम्हारा subject ही नही है, तुम्हारा विषय ही नहीं है, तुम्हारी सीमा ही नही है, की ध्यान लगे का नही लगेगा वह ध्यान लगेगा कि नही लगेगा यह भी अपेक्षा मत रखो। सिर्फ आधा घंटा मेरे नाम पर बैठो। स्वामीजी को आधा घंटा दिया उनके नाम पर बैठ रहा हु, भले ही गाली देके बैठो। तो actually आप देखोगे आधा घंटा बैठते बैठते जीवन ही परिवर्तित हो जायेगा और दुसरा सोचोना हम समाज को करते है ,परिवार को करते है,दुनिया भर के लोगो को time देते है,अपने आप को time नही देते है। अपने को time दो ना, आधा घंटा अपने को दो । इसलिये कहता हु नियमित आधा घंटा ध्यान करो। कुछ नही होगा मन का विरोध होगा, चित्त का विरोध होगा ,धीरे धीरे सब समाप्त होगा इसलिये मैने बोला ना सिर्फ आधा घंटा मेरे लिये दो। आधे घंटे के अंदर ही सबकुछ बदल जायेगा और वो आज मुझे मेहसुस हुवा कि तुम लॉग नियमित ध्यान नही करते और दुसरा एक दिन खूब ध्यान करना और एक दिन नही करना ऐसा नही नियमित सिर्फ आधा घंटा करो। तुम्हारा क्या होता है प्रॉब्लेम हुई, समस्या आई, तो खूब घंटो ध्यान करेंगे नही आई तो कुछ नही,ऐसा नही नियमित ध्यान करो बस यही आज का संदेश ।
आज के बाद तुम्हारा जीवन का दिन साडे तेयीस घंटे होगा 24 घंटे का नही। बस तो आधा घंटा तुम्हारे जीवन का दो बाकी ध्यान करा लुंगा।
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