गुरुचरण
गुरुदेव कें चरण तो निमित्त है हमें झुकाने कें लिए । हमारा किसी भी स्थान पर झुकना ही अधिक महत्वपूर्ण है । जिसके प्रति हमारे मन में प्रेम होता है , जिसके ऊपर हमारी संपूर्ण श्रद्धा होती है , उस स्थान पर झुकना हमारे लिए आसान होता है । "झुकना " अपने अस्तित्व को मिटाने की एक कला है । यह जिसे आ गई , बस उसका बेडा पार ! यह लाई नहीं जा सकती है । यह कला है , कुदरती है । यह कुदरती रूप से ही आती है ।
पूज्य गुरुदेव
ही .का .स .योग १
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