आप अकेले में आओ,तब मेरा एहसास होगा । बाबा स्वामी
आप अकेले तो कभी होते ही नहीं हो,मै सदैव आपके साथ ही रहता हूँ । सिर्फ आप अकेले में आओ,तब मेरा एहसास होगा । मै रोज प्रत्येक साधक के हृदय के दरवाजे पर जाकर नाॅक करता हुँ, बजाते रहता हूँ, लेकिन बहुत कम बार ऐसा होता है कि दरवाजा खुला मिलता है । साधक इतना बिझी रहता है, की उसको ध्यान ही नहीं रहता है । थोड़ा भीतर भी झाँका करो ना,थोड़ा अंदर भी देखा करो - अंदर क्या मूवमेंट हो रहे हैं,अंदर क्या अनुभूतियाँ हो रही हैं ? अंदर थोड़ी-सी भी अनुभूति कभी हो , सारे घंधे बंद करके शांत हो जाओ,एकांत मे चले जाओ । अनुभूति हो रही हैं मतलब स्वामीजी दरवाजा खटखटा रहे हैं । सबकुछ छोडके उस अनुभूति को पकडो । बहुत कम बार ऐसा होता है कि मैं आपके दरवाजे पर आया और दरवाजा खुला हुआ मिला, बहुत कम बार..!
गुरुपूर्णिमा महोत्सव-2009 , पुष्कर (अजमेर)
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