संपूर्ण समाधान

इस स्थान पर पहुँचकर मनुष्य को एक प्रकार का संपूर्ण समाधान प्राप्त हो जाता है। आध्यात्मिक प्रगति के लिए समाधान कि स्थिति आवश्यक है। क्योंकि समाधान की स्थिति आपको आत्मा से ही प्राप्त हो सकती है , शरीर हमें कभी भी समाधान नहीं दे सकता है , क्योंकि समाधान प्राप्त करना शरीर का स्वभाव ही नहीं है। शरीर सदैव अतृप्त ही रहता है। जिस प्रकार से आप हवनकुण्ड में जितनी आहुति डालते हो उतनी ही अधिक हवनकुण्ड की ज्वाला बढ़ते ही जाती है। ठीक इसी प्रकार से , आप किसी भी वस्तु का कितना ही उपभोग करो , आपको शरीर से समाधान कभी भी मिल ही नहीं सकता। आप जिसका उपभोग ले रहे हो वह आपको समाधान कभी नहीं दे सकती क्योंकि समाधान उसके पास ही नहीं है , तो वह आपको समाधान कहाँ से देगी ? हम जहाँ से समाधान पाने का प्रयास करे रहे हैं , आप पहले देखो उसके पास समाधान है क्या ? जब वह समाधान उसके पास नहीं है , तो वह आपको समाधान कैसे प्रदान कर सकती है ? समाधान प्राप्त करना आत्मा का भाव है और शाश्वत समाधान हमें केवल और केवल हमारी आत्मा ही दे सकती है। हम हमारी आत्मा को छोड़कर बाकी कहीं भी जाएँगे और समाधान की खोज करेंगे तो वह समय और वह प्रयत्न हमारे भीतर और असमाधान को ही जन्म देगा , और मनुष्य इस ओर प्रयत्न करके आपने असमाधान को ही बढा़एगा। समाधान आत्मा का एक शुद्व भाव है , वह तो हमें आत्मा से ही प्राप्त होगा।
भाग - ६ - २६३/२६४

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