स्वामीजी, जो आत्मा मोक्ष लेने को आती है वह आत्मा शरीर क्यों नहीं धारण करती है ? वह दूसरा जन्म क्यों नहीं लेती है ?

स्वामीजी, जो आत्मा मोक्ष लेने को आती है वह आत्मा शरीर क्यों नहीं धारण करती है ? वह दूसरा जन्म क्यों नहीं लेती है ?

स्वामीजी का जवाब :-
            साधारणत : क्या है की मनुष्य में और जीने की लालसा होती है की " और जिना चाहिये, और जीना चाहिए " । वही लालसा दूसरा जन्म लेने के लिये प्रेरित करती है । कुछ ऐसे योगी पुरुष है जिनको ब्रह्मज्ञान पूर्ण प्राप्त हो गया है । जिनको मालुम है की दूसरा जन्म नहीं लेने का है । उसके बाद में मृत्यु हो जाती है । तो, वो दूसरा जन्म नहीं लेंगे और मोक्ष मांगेंगे । वे दूसरा जन्म लेने के लिये तैयार नहीं रहते है ।
        उसको इस तरह से समजाया जा सकता है की जैसे एक खिडकी है, उसके बाहर लोग टिकिट के लिये लाइन लगाकर खडे है । जब उसका टिकिट लेने का टाइम आया,तब उसका ध्यान इधर उधर हो गया और लोगोंने उसे धक्का मारकर बाजू में हटा दिया । फिर वो बोलेगा की " मेरी टिकिट लेने की बारी थी , मुझे लेने  दो । " वैसा करके वापस बिच मैसे घुसने का प्रयत्न करेगा । वैसे ही ऐसे मोक्ष लेने के लिए तैयार रहते है । सब ज्ञान प्राप्त कर लिया होता है और मोक्ष का अधिकारी भी होता है, फिर भी जब मोक्ष नहीं मिलता है । वो क्या करेंगे, वे दूसरा जन्म नहीं लेंगे, पर दुसरो के शरीर में धक्का मारकर घुसेंगे और उसके माध्यम से फिर मोक्ष प्राप्त करते है । दूसरा कि, सब मृतात्मा मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा नहीं रखते है, कई दूसरे से बदला लेने की भावना रखते है, कोई कार्य अधूरा रह गया है, वह पूर्ण करना चाहते है । तो, जब तक उनका उदेश्य पूर्ण नहीं होता तब तक वह मोक्ष के मार्ग पर नहीं आयेगी । पर, जब उसका उदेश्य पूर्ण हो जायेगा तब वह बराबर मोक्ष मांगेगी ।
       श्री शिवकृपानंद स्वामीजी, अमरेली कन्याशाला में प्रश्नोत्तरी( 10 फरवरी 2006 )

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी