Posts

Showing posts from July, 2017

सदगुरु के माध्यम से परमात्मा को पाना शुरू करो

अपने सदगुरु के माध्यम से परमात्मा को पाना शुरू करो । सदगुरु के माध्यम से पाना आसान है क्यूँकि सदगुरु ने पा लिया है। और उनके साथ एक बड़ी समूहिकता है तो और भी आसान हो जाता है। प...

Shashwati

दिनांक - 31st जुलाई '17   ध्यान दें- जब मैं इस अनुभव को पढ़ता हूं कि मुझे बुखार मिला है ... कल्पना करें कि यदि मैं अपना अनुभव पढ़ रहा हूं, तो मुझे लगा कि कंपन ही असली ध्यान कैसे होता है! एक त...

अम्बरीष

हर दिन एक नया दिन होता ज़रूर है लेकिन उससे स्मरणीय और अर्थपूर्ण एक आत्मा को छूने वाली घटना ही बनाती है। ऐसी ही एक घटना मेरे साथ आज हुई। आज मैं, शाश्वती जी और हमारे स्वामीजी के स...

Shashwati

Date -31st july'17 Note - when i read this experience for checking i got shivers ...imagine if only reading my own experience i felt vibration imagine how the real meditation would have been! An experience one of a kind! Evening 5:30 we gathered for normal evening tea ,finishing our tea swamiji said " come on, lets go to the garden" like how we usually do...didn't know a different experience was waiting for me to be experienced. In normal talks swamiji said "i have an experiment to do....would u and ambareesh join me in this?", it was obvious who will say no for being a part of his Experiment? Swamiji made me and ambareesh sit on the lawn far from each other ,and said "slowly close ur eyes and follow my instructions!". And the meditation started with the usual Soul Mantra "I am a holy soul, I am a pure soul" swamiji recites but somehow neither me nor ambareesh was in a state to speak it out loud hence repeated inside silently . But n...

जीवन में दरवाज़ा खोलने पर ही प्रकाश अंदर आ सकता है।

जीवन में दरवाज़ा खोलने पर ही प्रकाश अंदर आ सकता है। अतिरिक्त ऊर्जा मिल सकती है। आपके जीवन में आपके दरवाज़े पर दस्तक देने का कार्य सदगुरु करता है। वह भी परमात्मा का ही रूप हो...

आवश्यकता है संतुलन कि और उस संतुलन को बनाए रखने कि

ऐसा  कहते  है  कि  अगर  नारियल  में  अच्छा  खोबरा  अंदर  तयार  हो  गया  और  अच्छी  मिठास   उसमे  प्राप्त  हो  गई  तो  फिर  नारियल  में  पानी  भीतर  नही  रहेगा  क्योंकि  वही...

सदगुरु परमात्मा का एक स्वरूप

सदगुरु  परमात्मा  का  एक  स्वरूप  है , जो  समय  समय  पर  समय  की  आवश्यकता  नुसार  रूप  बदलते  रहता  है । बदलते  रहता  है  या  बदलना  ही  आवश्यकता  हो  जाती  है । मानव  शरीर  ...

जीवन एक बहती धारा है

जीवन एक बहती धारा है इसमें तो बहते जाना है । ऊँची नीची राह मिले गर पथरीला हो तेरा रास्ता चट्टानों से राह बनाकर बस तुझको बढते जाना है । उछलकूद करते जाना है बस तुझको बहते जाना ...

ગુરુશક્તિઓ આદિ અને અંત બંને છે.

'ગુરુશક્તિઓ' આદિ અને અંત બંને છે. જ્યાં અંત લાગે છે, ત્યાં જ ફરી શરૂઆત થઈ જાય છે. અને શક્તિઓનું ચક્ર ચાલતું જ રહે છે. એક જન્મ આ રહસ્યને સમજવા  માટે પુરતો નથી . તેથી આપણી સંસ્કૃતિમ...

आध्यात्मिक क्षेत्र में जल्दबाजी नही होती है

आध्यात्मिक  क्षेत्र  में  जल्दबाजी  नही  होती  है । हमे  इस  क्षेत्र  में  शांति  से  और  बड़े  धीरज  के  साथ  चलना  पड़ता  है । हमारी  ऊपर  चढ़ने  की  गति  धीमी  हुई  तो  भ...

आत्मा की बाती ध्यान से प्रकाशित रहती है

अंधकार  से  उषा  तक  का  सफर  आत्मा  के  प्रकाश  के  बिना  संभव  नही । आत्मा  की  बाती  ध्यान  से  प्रकाशित  रहती  है । ध्यान  के  लिए  वीचारशून्न्यता  की  अवस्था  आवश्यक  ...

परमात्मा से प्राप्त ज्ञान को आपके माध्यम से हजारों लोगों तक पहुँचना चाहिए |"

"सदैव साधक को  भी परमात्मारूपी  वृक्ष की वह   टहनी बनना चाहिए जिस पर सैंकड़ों  छोटी टहनियाँ और हज़ारों पत्ते निर्भर हैं |परमात्मा से  प्राप्त ज्ञान को आपके माध्यम से हजारों ...

प्रगती

आज सुबह एक साधक अपनी नयी कार की पुजा कराने आया था तब पुजा के अन्य साधको से भी मीला उसमेसे एक साधक ने कहा स्वामीजी सभी पुराने साधको की आथीेक प्रगती हो गयी है जो कल सायकल पर घुमत...

સમર્પણ ધ્યાનના સૂત્ર

Image

मोक्ष मृत्यु के बाद नहीं मिलता है

"'मोक्ष' मृत्यु के बाद नहीं मिलता है। उसे अपने जीवनकाल में ही साधनारत रहकर प्राप्त करना होता है। वह एक स्थिति है। वह ध्यान की वह स्थिति है जो सामान्यतः १२ साल की सतत ध्यानसाधना करने से प्राप्त हो सकती है। जिसे भी यह स्थिति प्राप्त हुई उसे कम से कम १२ साल लगे ही हैं, यह मेरा अनुभव है।और १२ साल में ध्यान की नियमितता और स्वयं का समर्पण भाव इसी पर सबकुछ निर्भर होता है। सर्वप्रथम अपने शरीर के विकारों प र नियंत्रण कर उससे मुक्ति पाना होती है। बाद में अपने पूर्वजन्म के कर्मों को भी भोगना होता है। पूर्वजन्म के कर्म भोगते समय और नए कर्म उत्पन्न न हों, इसका भी ध्यान रखना होता है। आत्मज्ञान अधिकृत आत्मा के द्वारा किया गया एक प्रकार का संस्कार ही है।" ~ श्री डॉक्टर बाबा पूज्य स्वामीजी से, पुस्तक - "हिमालय का समर्पण योग" भाग-५

हिंदू धर्म प्राचीन है

"हिंदू धर्म प्राचीन है। वास्तव में, हिंदू धर्म ही नहीं है क्योंकि न उसकी कोई एक निश्चित मूर्ति है और न ही कोई निश्चित धर्मग्रंथ है। हिंदू धर्म तो खुली किताब की तरह है कि अभी उसके पन्ने खाली है। कोई भी सदगुरु आए और अपनी चार अनुभूतियाँ उसमे जोड़ दे। वास्तव में, हिंदू धर्म नहीं, संस्कृति है जो प्रकृति से जुड़ी हुई है।और प्राचीन व विशाल संस्कृति है। और इसी संस्कृति में से अनेक धर्म, पंथ निकले है। पर जो धर्म यहाँ चल पाए, वे यहाँ चले और जो नहीं चल पाए, वे बाहर जाकर बाहर की दुनिया में फैले है।" ~ बौद्ध गुरु स्वामिजी से, 'हिमालय का समर्पण योग' भाग - २

सामुहिकता मे अपनी प्रगति करने का एकदम सरल उपाय

* सामुहिकता मे अपनी प्रगति करने का एकदम सरल उपाय : * " आपका ह्रदय सबके लिये खुला होना चाहीये,आपके मनमेँ सबके प्रति अच्छा भाव होना चाहीयेँ । सामनेवाला आपके लिये क्या सोच रहा है ...

मन खुलेगा , आपका मन बड़ा होगा

जब  आप  किसी  के  लिए  कुछ  करेंगे  ना , आपका  अंदर  से  मन  खुलेगा । और  जब  आपका  मन  खुलेगा , आपका  मन  बड़ा  होगा । जितना  आपका  मन  बड़ा  होगा , आपका  पात्र  बड़ा  होगा ।आपका ...

पैसा तो माध्यम है, गुरुदक्षिणा तो माध्यम है, उस माध्यम से वो अपने भाव को वृद्धीगत कर रहे हैं

मैं ये भी नहीं कहता कि मेरे को पैसे का ज़रूरत नहीं है। क्यों नहीं कहता? क्योंकि *पैसा तो माध्यम है, गुरुदक्षिणा तो माध्यम है, उस माध्यम से वो अपने भाव को वृद्धीगत कर रहे हैं ,* उन...

दान वही है जो निष्काम भाव से किया जाए

सत्य  अर्थ  में  दान  वही  है  जो  निष्काम  भाव  से  किया  जाए । "मैने  दान  दिया " यह  भाव  आगे  जाकर  अहंकार  को  जगाता  है । "दान  दिया " यह  भाव  हमे  कर्म  बंधन  में  भी  बांधत...

जन्म का उद्देश

मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसके जन्म का उद्देश ही उसके पूवॅकमोॅ के भोगों को भोगना होता है हिमालय का समपॅण योग भाग 3

सदगुरु का अंग-प्रत्यंग कुछ कहते रहता है

" सदगुरु का अंग-प्रत्यंग कुछ कहते रहता है , कुछ बोलते रहता है , कुछ अनुभव करते रहता है , उसका भव्य कपाल एक आनंदित अनुभूति को अनुभव कराते रहता है । उसके कान सब कुछ सुनते रहते हैं स...

सत्य का सूर्य दिखेगा

हम दोनों के बीच समय का  अंतराल है | जिस दिन समय का यह अंतराल समाप्त होगा, दोनो  को  सत्य का सूर्य दिखेगा | सत्य  सदैव एक होता है , निश्चित होता  है किसी को  जल्दी मालूम  होता है , कि...

समाधान

" समाधान को बाहर खोजोगे, भटकोगे तो जीवन में समाधान बाहर कभी नहीं मिलेगा | और समाधान को बाहर नहीं खोजोगे और भीतर जाओगे तो समाधान की बरसात होगी |" हि.स.यो-१ पृष्ठ-१९२

ગુરુના સાનિધ્યમાં રહેવું જ સર્વસ્વ નથી.

"  ગુરુના સાનિધ્યમાં રહેવું જ સર્વસ્વ નથી. આપણે આ ગુરુસાનિધ્યનો ઉપયોગ કઇ દિશામાં કરી રહયા છીએ,  તે મહત્વપૂર્ણ છે.  ગુરુસાનિધ્ય આપણને નવી શક્તિઓ આપે છે, પરંતુ દિશા નહિ.  દિશ...

नामकरण की applications

Image
सभी पुण्यतमाओं को मेरा नमस्कार, पिछले कई वर्षों से मेरे पास साधकों के पास से अलग-अलग नए जन्मे शिशुओं से लेकर व्यवसायों तक के नामकरण की applications आती है । इन सभी applications को समय पर जवाब मिल सके इसके लिए हाल ही में अनुराग एवं IT टीम ने अनुभूति पोर्टल के एक भाग के रूप में नामकरण module बनाया है । इस में एक सरल सा फ़ॉर्म है जिसे भर सकते है । इसमें आपके द्वारा दिए गए ईमेल address पर आपको नामकरण की जानकारी दी जाएगी । *इस online सिस्टम में मुझे सुंदर व्यवस्था यह लगी की हर नामकरण को एक सुंदर पत्र के रूप में भेजा जाएगा, इससे निश्चित ही साधक को और अधिक संतुष्टि प्राप्त होगी । online form भरने के लिए http://namakaran.shivkrupanandji.guru पर logon करें ।* आप सभी इस व्यवस्था का भरपूर लाभ लें….. आप सभी को खूब-खूब आशीर्वाद .... बाबा स्वामी website : http://namakaran.shivkrupanandji.guru/

मैं आज के भगवान के माध्यम को मानता हूँ,

गुरुदेव' कहना , यानी, मैं आज के भगवान के माध्यम को मानता हूँ, यह कहना हो जाता है। 'गुरुदेव' शब्द में ही सबकुछ आ गया है। - HSY1 pg 478

हिमालय का अपना ही एक आकर्षण है।

हिमालय का अपना ही एक आकर्षण है। उसे शब्दों में बताया नहीं जा सकता है। वह तो केवल अनुभूति है और अनुभूति को केवल अनुभव ही किया जा सकता है। उसे अभिव्यक्त करना संभव ही नहीं है। HSY 3 pg 38...

समर्पण + ध्यान = समर्पण ध्यान

* मै एक पवित्र आत्मा हूँ       * मै एक शुद्ध आत्मा हूँ * मै एक पवित्र आत्मा हूँ       * मै एक शुद्ध आत्मा हूँ * मै एक पवित्र आत्मा हूँ       * मै  एक शुद्ध आत्मा हूँ ********************************** समर्पण + ध्यान = ...