"हिंदू धर्म प्राचीन है। वास्तव में, हिंदू धर्म ही नहीं है क्योंकि न उसकी कोई एक निश्चित मूर्ति है और न ही कोई निश्चित धर्मग्रंथ है। हिंदू धर्म तो खुली किताब की तरह है कि अभी उसके पन्ने खाली है। कोई भी सदगुरु आए और अपनी चार अनुभूतियाँ उसमे जोड़ दे। वास्तव में, हिंदू धर्म नहीं, संस्कृति है जो प्रकृति से जुड़ी हुई है।और प्राचीन व विशाल संस्कृति है। और इसी संस्कृति में से अनेक धर्म, पंथ निकले है। पर जो धर्म यहाँ चल पाए, वे यहाँ चले और जो नहीं चल पाए, वे बाहर जाकर बाहर की दुनिया में फैले है।" ~ बौद्ध गुरु स्वामिजी से, 'हिमालय का समर्पण योग' भाग - २