मोक्ष मृत्यु के बाद नहीं मिलता है

"'मोक्ष' मृत्यु के बाद नहीं मिलता है। उसे अपने जीवनकाल में ही साधनारत रहकर प्राप्त करना होता है। वह एक स्थिति है। वह ध्यान की वह स्थिति है जो सामान्यतः १२ साल की सतत ध्यानसाधना करने से प्राप्त हो सकती है। जिसे भी यह स्थिति प्राप्त हुई उसे कम से कम १२ साल लगे ही हैं, यह मेरा अनुभव है।और १२ साल में ध्यान की नियमितता और स्वयं का समर्पण भाव इसी पर सबकुछ निर्भर होता है। सर्वप्रथम अपने शरीर के विकारों पर नियंत्रण कर उससे मुक्ति पाना होती है। बाद में अपने पूर्वजन्म के कर्मों को भी भोगना होता है। पूर्वजन्म के कर्म भोगते समय और नए कर्म उत्पन्न न हों, इसका भी ध्यान रखना होता है। आत्मज्ञान अधिकृत आत्मा के द्वारा किया गया एक प्रकार का संस्कार ही है।"

~ श्री डॉक्टर बाबा पूज्य स्वामीजी से, पुस्तक - "हिमालय का समर्पण योग" भाग-५

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