आत्मपरीक्षण
***********************************
केवल आध्यात्मिक प्रगती की बात इसलिए कर रहा हूँ क्योकि एक योगी के सामने तो "समृद्धि " हाथ जोड़े सदैव खड़ी ही रहती है । योगी की आवश्यकता के पूर्व "समृद्धि " आवशकता को पूर्ण करती है । एक लम्बा ध्यान साधना का सफर आपको करना बाकी है । यह जानकर सफर पर चल पडिए । जीवन के हर मोड़ पर आप मुझे अपने भीतर ही पायेंगे । क्योकि अब "मै " मेरा न रहा हूँ , "आपका " सर्वस्व हो चुका हूँ यह मै अनुभव कर रहा हूँ । आप भी अनुभव करके देखे । इसी आशीर्वाद के साथ ..
-आपका
बाबा स्वामी
***********************************
Comments
Post a Comment