स्वीकारना ही सभी समस्याओं का हल है।

एक बार मनुष्य को स्वीकारना आ गया , तो उसके जीवन की सारी समस्याए ही समाप्त हो जाती है। स्वीकारना ही सभी समस्याओं का हल है। मनुष्य को लगता है की सब कुछ मेरे ही हाथ में है। मैं सब कुछ कर सकता हु। वास्तव में, मनुष्य के हाथ में सब कुछ नहि है। मनुष्य के हाथ में केवल प्रयत्न है और वह प्रयत्न मनुष्य को पूर्ण रूप से करना चाहिए। और उस प्रयत्न के फल को परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए ताकि फल से आसक्ति न हो और प्रत्येक फल को वह स्वीकार कर सके। इस से मन को एक प्रकार की शांति मिलती है।

-HSY 3 pg 290

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