पैसा तो माध्यम है, गुरुदक्षिणा तो माध्यम है, उस माध्यम से वो अपने भाव को वृद्धीगत कर रहे हैं
मैं ये भी नहीं कहता कि मेरे को पैसे का ज़रूरत नहीं है। क्यों नहीं कहता? क्योंकि *पैसा तो माध्यम है, गुरुदक्षिणा तो माध्यम है, उस माध्यम से वो अपने भाव को वृद्धीगत कर रहे हैं ,* उनके भाव को वृद्धिगत करना चाहता हूँ। तो मैं चाहता हूँ उसके भाव को वृद्धिगत करके, मैं उस पैसे का इनवेस्टमेंट, उस पैसे का नियोजन मेरे समाधी स्थल के लिए करूँ। *मैं मेरा समाधी स्थल उन्हीं के पैसे से निर्माण करूँगा, उससे उनका भाव और वृद्धिगत होगा।* तो मैं नहीं चाहता कि उस पैसे का सदुपयोग ना हो। इसीलिए उसका सबसे अच्छा सदुपयोग समाधि स्थल है।
- *पूज्य गुरुदेव*
गुडीपाडवा प्रवचन,२८मार्च२०१७
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