प्रकृति का नियम है -- कचरा , धूल , मिट्टी अपने -आप आ जाता है

॥वंदनिय गुरुमाँ ॥
॥ माँ ॥पुष्प २ ॥
        
प्रकृति  का  नियम  है -- कचरा , धूल , मिट्टी  अपने -आप  आ  जाता  है  पर  अच्छी  वस्तुएँ , आशीर्वाद , चैतन्य  सभी  माँगने  पर  ही  मिलते  है । जैसे  मै  लड्डू  या  गुलाबजामुन  बनाती  हूँ , तब  १-- १ तुम  सबको  देती  हूँ । किंतु  अधिक  चाहिए  तो  तुम  मुझसे  माँगते  हो  तभी  मै  देती  हूँ । वैसे  ही  प्रकृति  से  प्रार्थना  करते  है  तभी  हमे  दिव्य  चैतन्य  प्राप्त  होता  है ।
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* 'सीफर ' = शून्य
विचारशुन्यता की स्थिति

जीवन  की  उहापोह  में ,
क्या  खोया  जिंदगी ?
जीवन  की  उलटफेर  में ,
क्या  पाया  जिंदगी ?
सीफर  था  साथ  मेरे
सीफर  को  सँभालूँ
सीफर  रहा  जो  साथ
तो  जी  जाऊँ  जिंदगी !!!
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