गुरुकृपा तो बरसने के लिए ही होती है और वो तो बरसना ही चाहती है ।

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गुरुकृपा  तो  बरसने  के  लिए  ही  होती  है  और  वो  तो  बरसना  ही  चाहती  है । बस , कोई  सुपात्र , ग्रहण  करने  वाला  चाहिए । जब  ये  सुपात्र , महान  आत्माएँ  आएँगि , यह  कृपा  स्वयं  ही  बरसना  प्रारम्भ  हो  जाएगी ।

- ही .का .स .योग
      [ भाग ४ ]

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