प्रगती

आज सुबह एक साधक अपनी नयी कार की पुजा कराने आया था तब पुजा के अन्य साधको से भी मीला उसमेसे एक साधक ने कहा स्वामीजी सभी पुराने साधको की आथीेक प्रगती हो गयी है जो कल सायकल पर घुमते थे वे सभी कार वाले होगये है  । जैसे समपेण की आथीेक
प्रगती हुयी वैसे सभी की हो गयी है मैने उसे कहा यह बाहरी प्रगती है यह तो सामुहीकता मे रहने से वैसे ही हो जाती है पर अपनी भीतरी प्रगती तो अपने को अपनी ही करना पडती है । अब वह कीतनी हो रही है उधर प्रत्येक साधक ने ध्यान देना चाहीये हमने गुरूशक्तीयो का सानीध्य उस प्रगती के लीये प्राप्त कीया है।

    बाबा स्वामी
३१/७/२०१७

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