अनुभूति का जन्म हिमालय में भी बहुत भीतर के भाग में हुआ

इस अनुभूति का जन्म हिमालय में भी बहुत भीतर के भाग में हुआ और उस स्थान पर मनुष्य बस्ती ही नहि थी। यानी एक निर्मनुश्य स्थान पर , एकदम एकांत के स्थान पर ही इस अनुभूति का विकास हुआ। बड़े ही पवित्र व शुद्ध वातावरण में इस अनुभूति का विकास हुआ है तो उसे अनुभव करने के लिए भी उतने  ही संवेदनशील मनुष्य की आवश्यकता है जो प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ हो। 

- HSY 3 pg 371

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी