सुख और दुःख मन की मनोदशाएँ है
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" धन एक निर्जीव साधन है । उसके रहने से कोई सुखी नही रह सकता और उसके न रहने से कोई दुखी नही रह सकता । सुख और दुःख मन की मनोदशाएँ है । आपके मानने पर सुख है और आप के मानने पर ही दुःख । आप परिस्थिती को स्वीकार कर लो तो ही सुख है , स्वीकार न करो तो दुःख है । "
-पूज्य गुरुदेव
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