मेरे चारों ओर संपूर्ण आभामंडल बन गया था , जैसे चंद्रमा का प्रकाश हो ।
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एक दिन शाम बड़ी विचित्र घटना घटी । मै शामके समय ध्यान करने घर की छत पर बैठा था और कब अँधेरा हो गया , वह पता ही नही चला । और पत्नी मुझे खोज रही थी । उसने बुलाने के लिए लड़के को भेजा । लड़का छत पर आया और मै दिखा नही तो वह चला गया । फिर पत्नी छत पर देखने आई तो उसने देखा की मेरे चारों ओर संपूर्ण आभामंडल बन गया था , जैसे चंद्रमा का प्रकाश हो । ऐसा प्रकाश सारे शरीर के आसपास था और उसी गहरे सफेद रंग की एक पट्टी उस ऑरा के किनारे पर चारों ओर थी , जैसे साड़ी की किनार होती है वैसी । और पत्नी ने देखा तो वह यह दृश्य देखते ही रह गई और पत्नी का भी ध्यान लग गया ।
- ही .का .स .योग ...
भाग २ , पृष्ठ ११०
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