सदगुरु के अंतिम जन्म में लाखों आत्माएँ उनसे जुडती हैं।

सदगुरु की आत्मा प्रत्येक जन्म के साथ आत्माओं को केवल जोडते रहती है। कुछ आत्माएँ उसे छोड देती हों, वह किसी को नहीं छोडती है क्योंकि छोडना उसका स्वभाव ही नहीं है। इसीलिए सदगुरु के अंतिम जन्म में लाखों आत्माएँ उनसे जुडती हैं।

-हि.स.योग.४, पेज. ३३५

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