" गुरुकृपा भी अपने स्थान पर .बरसते ही रहती है
" गुरुकृपा भी अपने स्थान पर .बरसते ही रहती है . . बरसते ही रहती है . . बरसते ही रहती है । हमको उसके नीचे जाना पड़ता है । हमको कृपा के लिए समर्पित होना पड़ता है । जैसे ही समर्पित होंगे कृपा खुद ब खुद गिर जाएगी ।
[चैतन्य महोत्सव ]
२०१६
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