Posts

Showing posts from September, 2017

॥ आत्मा और देह ॥

दोनों  तुम्ही  हो ! एक  तुम  अर्थात  आत्मा  हो . . . तुम  ईश्वर  का  अंश  हो . . . प्रत्तेक  आत्मा  ईश्वर  का  अंश  होती  है । और  दूसरी  तुम  अर्थात  तुम्हारी  देह । यह  देह  आत्मा  का...

पुण्यकर्म अपने ही चित्त के शुद्धिकरण का मार्ग

पुन्यकर्म  करना  एक  भावना  है  जिस  भावना  से  हम दूसरों  को  सुखी  कर  सुख  पाते  है । वास्तव  में  तो  पुण्यकर्म  अपने  ही  चित्त  के  शुद्धिकरण  का  मार्ग  है , हम  हमारे...

गूरूमय

गुरु  को  देख  रहे  है  यानी  अभी  गूरूमय  हुए  नही  है ।गूरूमय  होने  के  बाद  गुरु  दिखता  नही ,केवल  अनुभव  होता  है ।और  अनुभव  होता  है  केवल  चैतन्य ,चैतन्य ,चैतन्य !क्य...

चमत्कार

मनुष्य का पुर्ण समर्पण और परमत्मा की कृपा दोनो एकत्र हो जाएँ तो चमत्कार  घटीत हो जाता है | बाबा स्वामी  

आज हमारा नया जन्म हुवा है |

हर एक सुबह होती है तो हमारा नया जीवन होता है | आज हमारा नया जन्म हुवा  है | आज के दीन जो भी होगा वह बहोत अच्छे से हो | हर एक काम हमे  हर एक करम बहोत अच्छे से सावधानी बरखते हूए  करना हो...

॥ " माँ " ॥

आपकी  माँ  आपको  जितना  जानती  है ,उतना  दुनिया  में  आपको  कोई  नही  जानता  क्योंकि  दुनिया  में  आने  के  नौ  माह  पूर्व  से  आपको  जानती  है ।ठीक  इसी  प्रकार  से  मै  आप...

भगवान मानना आत्मा की ग्रहण करने की सर्वोच्च स्थिति है

मै  जीवन  मे  जो  आध्यात्मिक  प्रगति  कर  सका ,उसका  रहस्य  आज  आपको  बताता  हूँ ।मैने  अपने  गुरु  को  गुरु  नही ,भगवान  माना  है ।भगवान  मानना  आत्मा  की  ग्रहण  करने  की  ...

॥ समर्पण ॥

समर्पण  एक  शब्द  में  सारे  जीवन  का  रहस्य  छुपा  हुआ  है ।अपने  जीवन  के  नियंत्रण  को  संपूर्णत: सदगुरु  के  माध्यम  से  परमात्मा  को  सौंप  देना  समर्पण  है । बाबा स्व...

जन्म -मृत्यु तो हमारे हाथ मे नही है

जीवन की मृत्यु निश्चित है । सृजन का विसर्जन निश्चित है ॥ तो हे मानव !मत डर जग में । धीरज रख जी ले इस जग में ।। अर्थात :-- जन्म -मृत्यु  तो  हमारे  हाथ  मे  नही  है ।हाँ , जीवन  हमारे  ...

स्वामीजी एक ऐसे अनमोल पत्थर के समान है

स्वामीजी  एक  ऐसे  अनमोल  पत्थर  के  समान  है  जिस  पत्थर  से  जो  भी  माँगे ,वह  इच्छा  पूर्ण  होती  है ।किंतु  इस  पत्थर  का  उपयोग  जितना  होगा , उतना  यह  पत्थर  घिसता  जा...

करताभाव

जब  तक  मै  के  करता  भाव  से  आप  बाहर  नही  निकलते ,समर्पण  ध्यान  मे  प्रगति  असंभव  है ,आप  आपका  समय  व्यर्थ  गँवा  रहे  है ।एक  म्यान  में  दो  तलवारें  नही  रह  सकती ,वैस...

सदगुरु माध्यममात्र है

सदगुरु  माध्यममात्र  है  वह  किसीको  कूछ  नही  दे  सकता  है ।बस  उसके  सानिध्य  मे  हमे  पा  लेना  पड़ता  है । बाबा स्वामी

ध्यानयोग

समाज  मे  रहकर  संतुलित  बनने  का  एक  ही  मार्ग  है -- " ध्यानयोग " यही  मनुष्य  को  संतुलित  कर  सकता  है  और  आछी  आत्माओं  से  आपको  जोड़  सकता  है । बाबा स्वामी

लाखों आत्माओं की सामूहिकता

" वे आत्माएँ स्वयं ही तुम्हें पहचान लेंगी।उन्हें तुम दर्शनमात्र से हीअपने-से लगने लग जाओगे। वे केवल तुम्हारे दर्शन से आत्मसमाधान को प्राप्त करेंगी क्योंकि तुम्हारा शरी...

॥ चैतन्य ॥

माध्यम  का  शरीर  तो  सामान्य  मनुष्य  जैसा  ही  होता  है ,लेकिन  उस  शरीर  के  भीतर  की  आत्मा  परमात्मामय  होती  है । इसी  कारण  उस  आत्मा  से  लाखों  आत्माएँ  जुड़ी  होती...

करुणा

करुणा होना , न होना, मनुष्य की ग्रहण करने की क्षमता पर निर्भर होता है। क्यूँकि किसी सदगुरु की करुणा को प्रयत्न से प्राप्त नहि किया जा सकता है। करुणा तो करुणा है, करुणा बस स्वय...

माँ

प्रत्येक मनुष्य का सबसे पुराना रिश्ता माँ के साथ का ही होता है। HSY 4 pg 363

सहस्त्रार  चक्र 

सहस्त्रार  चक्र  पर  स्थिरता  सामूहिकता  में  ही  प्राप्त  की  जा  सकती  है ।और  सामूहिकता  के  लिए  " गुरुशक्तियों  को  समर्पण " आसान  मार्ग  है । . . . . . . . . बाबा स्वामी

आध्यात्मीक गुरू तीन चरण

पहला: अपने गुरूसे ज्ञान प्राप्त करना | दूसरा: उसका अध्ययन करना और अध्ययन करके स्वंय उस सजीव ज्ञान की अनुभूती को प्राप्त करना | तीसरा: उस अनुभूती के अनुभव को बाँटना | ये जो तीनो...

आत्मा  को  गुरु  बनाओ 

उस  एहसास  को  अनुभव  करो ।तो  शरीर  से  आप  किसके  संग  हो ,उससे  कोई  फर्क  नही  पड़ता  है । मै  यह  सब  कह  रहा  हूँ ,इसलिए  इस  पर  विश्वास  मत  रखो ।आप  स्वयं  अनुभव  करके  ...

आत्मसाक्षात्कार के बाद वे जान जाएँगी कि वे कौन हैं

मैं अपने विचारों में,अकेले ही बड़े महाराजश्री की समाधि के पास , पहाड़ी के एक सिरे पर बैठा था। नीचे का सब दिख रहा था। उतने में डाक्टर बाबा कब आ गए, मुझे पता भी नहीं चला। वे आकर मेरे ...

शरीरधारी परमात्मा

शरीरधारी  परमात्मा  को   भले  ही  न  पहचाने , आत्मा  पहचानती  है । की  परमात्मा  देखने  की  नही , अनुभूति  लेने  के  लिए  होता  है । ✍. . . . . बाबा स्वामी

" सदगूरू " को मानना

" सदगूरू " को  मानना  ही  एक  सकारात्मकता  की  ओर  पहला  क़दम  है ।यानि  अपने  ही  जैसे  मनुष्य  के  भीतर  की  "आत्मा " को  देखना  और  उस  "पवित्र आत्मा " के  चैतन्य  की  अनुभूति  ...

संत कबीर

संत कबीर ने बड़ा सूंदर कहा है। उन्होंने कहा - जब मैं परमात्मा को खोजने को निकला , खूब खोजा, खूब ढूंढा , कहीं पे भी नहीं मिला। लेकिन जब मैं अपने आपको खोया , तब मुजे परमात्मा की प्राप...

शिव  और  शक्ति  इन  दोनों  के  बिच  ही  जीवन  है ।

शिव   और  शक्ति  इन  दोनों  के  बिच  ही  जीवन  है ।शिव  यानि  मनुष्य  के  शरीर  का  आत्मा ।उस  आत्मा  का  प्रभुत्व  शरीर  पर  कितना  है ,वह  आत्मा  शरीर  के  अधीन  है  या  शरीर...

सदगुरु आपके र्हदय के द्वार पर खड़ा है

सदगुरु  आपके  र्हदय  के  द्वार  पर  खड़ा  है ।बस  आपका  र्हदय  का  द्वार  खोलकर  अनुभव  करो ।सारा  आपका  ध्यान  आपको  क्या  दिख  रहा  है ,उधर  नही ,क्या  अनुभव  हो  रहा  है ,उध...

सूक्ष्म शरीर

Image
ऐसा अनुभव मेरे लिए एकदम नया था ।. . . एक सूक्ष्म शरीर जो गुरुसानिध्य मे ष्यानस्त था ।. . . और एक स्थूल रुप मे मेरे साथ . . . अब मेरा गुरुदेव से सीधा संपर्क नही था ,जो संपर्क था वह सूक्ष्म शरीर के माध्यम से हो रहा था ।. . . ✍. . . . . बाबा स्वामी =========================

आत्मज्ञान का फल

आत्मज्ञान का फल मनुष्य ने चखा नहीं है | वह भूखा है | मिट्टी ही खा रहा है और उसे ही फल समझ रहा है | इतना अज्ञानी है | मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण पुस्तक से प्राप्त जानकारी को ही ज्ञ...

गुरू गहरे कुएँ जैसे होते है

ये गुरू गहरे कुएँ जैसे होते है | अगर आपको' ' प्यास लगी है और आपको पानी चाहीए तो 'आपको' ही रस्सी और बाल्टी लेकर उस गहरे कुएँ से पानी निकालना होगा और पानी पीना होगा | और प्रयत्न नहीं किया तो पानी दिखेगा पर मिलेगा नहीं |इस मार्ग में साधक की इच्छाशक्ति ही महत्वपूर्ण होती है | आपकी कितनी तीव्र इच्छा है, वह महत्वपूर्ण होता है | ये गुरू अपने ही मस्ति में मस्त रहते हैं |            हि.स.यो. ४/२३८

आत्म-अनुभूति जाती,धर्म,देश,रंग,लिंग इन सब भेदों से परे है।

हो सकता है,कुछ लोग अपने पुराने संस्कारों से,अपने बाहरी धर्म से , अपनी मान्यताओं से ही चिपके रहें और यह नई बात ग्रहण न भी करें क्योंकि आत्म-अनुभूति का समाज में अनुभव नहीं है। औ...

गुरु-सान्निध्य

मनुष्य जीवन में सबकुछ अपने प्रयत्न से प्राप्त कर सकता है, बस एक गुरु-सान्निध्य ही है जो प्रयत्न से प्राप्त नहीं होता है । गुरु-सान्निध्य केवल गुरुकृपा में ही प्राप्त होता ह...

शिरडी महाशिबिर —2018

ऐसा महाशिबिर आजतक न हुआ है और न भविष्य मे होगा । 18/9/2018 से 25/9/2018 मे शिर्डी मे होने वाला महशिबिर सीधा गुरूशक्तियो का आयोजन है। यह एक ईश्वरिय कलाकृती है ।एक मूर्तिकार के माध्यम से परम...

हे परमात्मा , तेरी माया भी निराली है

हे  परमात्मा , तेरी  माया  भी  निराली  है ।तू  यह  माया  का  खेल  खेलते  रहता  है ।तेरी  माया  को  अज्ञानी  लोग  समझ  नही  पाते  है  और  वे  बेकार  मे  ही  अटक  जाते  है ।एक  अट...

ईश्वरप्राप्ति  के  अनेक  मार्ग  है ।

ईश्वरप्राप्ति  के  अनेक  मार्ग  है ।उनमे  ही  एक  मार्ग "समर्पण  ध्यानयोग " है ।इस  मार्ग  के  कूछ  सिद्धांत  है  और  इन्ही  सिद्धान्तों  पर यह  पद्धति  आधारित  है ।पहला  ...

गुरु के दो सिरे है

गुरु  के  दो  सिरे  है , एक  अस्तीत्ववाला और दूसरा  अस्तित्वहीन । हम  अस्तीत्ववाले  सिरे  को  पकड़कर  अस्तीत्ववीहीन  सिरे  तक  की  यात्रा  करते  है ।इसी  यात्रा  का  नाम...

मेरे चैतन्य को अपने पास अनुभव करो

मेरे  चैतन्य  को  अपने  पास  अनुभव  करो  तो   सब  बातों  से  आपको मुक्ति  मिल  जाएगी ।या  तो  तैर  कर  जीवन  की  नदी  पार  करो ,या "समर्पण ध्यान "की  नाव  से  करो ।पर  नाव  पर  बै...

मनुष्य

*सारे मनुष्य उस परमात्मा के बच्चे हैं। *परमात्मा एक शक्ति है जिसने मनुष्य को जन्म दिया है। *मनुष्य के माँ-बाप तो निमित्त हैं उसे शरीर, केवल शरीर प्रदान करने में। *वास्तव में म...

ध्यानस्थ मुनि

Image
एक बड़े शिलाखण्ड पर बहूत बड़ी जोती नज़र आ रही थी ।. . . मै समझ गया . . . कोई मुनि अदृश्य रुप में ध्यान कर रहे थे . . .मै भी ध्यान करने बैठ गया . . . ध्यानस्थ मुनि बोले ,"मैं आपका ही इंतजार कर रहा था . . . आपके माध्यम से ही मेरी मुक्ति संभव है । बाबा स्वामी 

प्रश्न: गुरुजी, अगर मैं साधना क्रिया बंद कर दूँ तो आपकी कृपा मे कमी आयेगी ?

*गुरुजी*: मेरी कृपा में कमी नहीं आयेगी, वो बरसती रहेगी; कमी तुम्हारी पात्रता मे आयेगी। तुम्हारी ग्रहण करने की क्षमता में कमी आयेगी..... तुम एक कट़ोरी लेकर आते हो और बोलते हो 10 लिटर ...

अपने को जाना, सारी दुनिया जान ली।

आप आपके चित को बचके कैसे रख सकते हो , ये आपकी परीक्षा है। इतनी सारी बातें और इतनी सारी दुनिया की इन्फर्मेशन ( जानकारी) लेके करने का क्या ?  बताओ न , इतनी सब इन्फर्मेशन लेके मर जाओग...