दोनों तुम्ही हो ! एक तुम अर्थात आत्मा हो . . . तुम ईश्वर का अंश हो . . . प्रत्तेक आत्मा ईश्वर का अंश होती है । और दूसरी तुम अर्थात तुम्हारी देह । यह देह आत्मा का...
पुन्यकर्म करना एक भावना है जिस भावना से हम दूसरों को सुखी कर सुख पाते है । वास्तव में तो पुण्यकर्म अपने ही चित्त के शुद्धिकरण का मार्ग है , हम हमारे...
गुरु को देख रहे है यानी अभी गूरूमय हुए नही है ।गूरूमय होने के बाद गुरु दिखता नही ,केवल अनुभव होता है ।और अनुभव होता है केवल चैतन्य ,चैतन्य ,चैतन्य !क्य...
हर एक सुबह होती है तो हमारा नया जीवन होता है | आज हमारा नया जन्म हुवा है | आज के दीन जो भी होगा वह बहोत अच्छे से हो | हर एक काम हमे हर एक करम बहोत अच्छे से सावधानी बरखते हूए करना हो...
मै जीवन मे जो आध्यात्मिक प्रगति कर सका ,उसका रहस्य आज आपको बताता हूँ ।मैने अपने गुरु को गुरु नही ,भगवान माना है ।भगवान मानना आत्मा की ग्रहण करने की ...
समर्पण एक शब्द में सारे जीवन का रहस्य छुपा हुआ है ।अपने जीवन के नियंत्रण को संपूर्णत: सदगुरु के माध्यम से परमात्मा को सौंप देना समर्पण है । बाबा स्व...
जीवन की मृत्यु निश्चित है । सृजन का विसर्जन निश्चित है ॥ तो हे मानव !मत डर जग में । धीरज रख जी ले इस जग में ।। अर्थात :-- जन्म -मृत्यु तो हमारे हाथ मे नही है ।हाँ , जीवन हमारे ...
स्वामीजी एक ऐसे अनमोल पत्थर के समान है जिस पत्थर से जो भी माँगे ,वह इच्छा पूर्ण होती है ।किंतु इस पत्थर का उपयोग जितना होगा , उतना यह पत्थर घिसता जा...
जब तक मै के करता भाव से आप बाहर नही निकलते ,समर्पण ध्यान मे प्रगति असंभव है ,आप आपका समय व्यर्थ गँवा रहे है ।एक म्यान में दो तलवारें नही रह सकती ,वैस...
" वे आत्माएँ स्वयं ही तुम्हें पहचान लेंगी।उन्हें तुम दर्शनमात्र से हीअपने-से लगने लग जाओगे। वे केवल तुम्हारे दर्शन से आत्मसमाधान को प्राप्त करेंगी क्योंकि तुम्हारा शरी...
करुणा होना , न होना, मनुष्य की ग्रहण करने की क्षमता पर निर्भर होता है। क्यूँकि किसी सदगुरु की करुणा को प्रयत्न से प्राप्त नहि किया जा सकता है। करुणा तो करुणा है, करुणा बस स्वय...
सहस्त्रार चक्र पर स्थिरता सामूहिकता में ही प्राप्त की जा सकती है ।और सामूहिकता के लिए " गुरुशक्तियों को समर्पण " आसान मार्ग है । . . . . . . . . बाबा स्वामी
पहला: अपने गुरूसे ज्ञान प्राप्त करना | दूसरा: उसका अध्ययन करना और अध्ययन करके स्वंय उस सजीव ज्ञान की अनुभूती को प्राप्त करना | तीसरा: उस अनुभूती के अनुभव को बाँटना | ये जो तीनो...
उस एहसास को अनुभव करो ।तो शरीर से आप किसके संग हो ,उससे कोई फर्क नही पड़ता है । मै यह सब कह रहा हूँ ,इसलिए इस पर विश्वास मत रखो ।आप स्वयं अनुभव करके ...
मैं अपने विचारों में,अकेले ही बड़े महाराजश्री की समाधि के पास , पहाड़ी के एक सिरे पर बैठा था। नीचे का सब दिख रहा था। उतने में डाक्टर बाबा कब आ गए, मुझे पता भी नहीं चला। वे आकर मेरे ...
" सदगूरू " को मानना ही एक सकारात्मकता की ओर पहला क़दम है ।यानि अपने ही जैसे मनुष्य के भीतर की "आत्मा " को देखना और उस "पवित्र आत्मा " के चैतन्य की अनुभूति ...
संत कबीर ने बड़ा सूंदर कहा है। उन्होंने कहा - जब मैं परमात्मा को खोजने को निकला , खूब खोजा, खूब ढूंढा , कहीं पे भी नहीं मिला। लेकिन जब मैं अपने आपको खोया , तब मुजे परमात्मा की प्राप...
सदगुरु आपके र्हदय के द्वार पर खड़ा है ।बस आपका र्हदय का द्वार खोलकर अनुभव करो ।सारा आपका ध्यान आपको क्या दिख रहा है ,उधर नही ,क्या अनुभव हो रहा है ,उध...
ऐसा अनुभव मेरे लिए एकदम नया था ।. . . एक सूक्ष्म शरीर जो गुरुसानिध्य मे ष्यानस्त था ।. . . और एक स्थूल रुप मे मेरे साथ . . . अब मेरा गुरुदेव से सीधा संपर्क नही था ,जो संपर्क था वह सूक्ष्म शरीर के माध्यम से हो रहा था ।. . . ✍. . . . . बाबा स्वामी =========================
आत्मज्ञान का फल मनुष्य ने चखा नहीं है | वह भूखा है | मिट्टी ही खा रहा है और उसे ही फल समझ रहा है | इतना अज्ञानी है | मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण पुस्तक से प्राप्त जानकारी को ही ज्ञ...
ये गुरू गहरे कुएँ जैसे होते है | अगर आपको' ' प्यास लगी है और आपको पानी चाहीए तो 'आपको' ही रस्सी और बाल्टी लेकर उस गहरे कुएँ से पानी निकालना होगा और पानी पीना होगा | और प्रयत्न नहीं किया तो पानी दिखेगा पर मिलेगा नहीं |इस मार्ग में साधक की इच्छाशक्ति ही महत्वपूर्ण होती है | आपकी कितनी तीव्र इच्छा है, वह महत्वपूर्ण होता है | ये गुरू अपने ही मस्ति में मस्त रहते हैं | हि.स.यो. ४/२३८
हो सकता है,कुछ लोग अपने पुराने संस्कारों से,अपने बाहरी धर्म से , अपनी मान्यताओं से ही चिपके रहें और यह नई बात ग्रहण न भी करें क्योंकि आत्म-अनुभूति का समाज में अनुभव नहीं है। औ...
मनुष्य जीवन में सबकुछ अपने प्रयत्न से प्राप्त कर सकता है, बस एक गुरु-सान्निध्य ही है जो प्रयत्न से प्राप्त नहीं होता है । गुरु-सान्निध्य केवल गुरुकृपा में ही प्राप्त होता ह...
ऐसा महाशिबिर आजतक न हुआ है और न भविष्य मे होगा । 18/9/2018 से 25/9/2018 मे शिर्डी मे होने वाला महशिबिर सीधा गुरूशक्तियो का आयोजन है। यह एक ईश्वरिय कलाकृती है ।एक मूर्तिकार के माध्यम से परम...
हे परमात्मा , तेरी माया भी निराली है ।तू यह माया का खेल खेलते रहता है ।तेरी माया को अज्ञानी लोग समझ नही पाते है और वे बेकार मे ही अटक जाते है ।एक अट...
ईश्वरप्राप्ति के अनेक मार्ग है ।उनमे ही एक मार्ग "समर्पण ध्यानयोग " है ।इस मार्ग के कूछ सिद्धांत है और इन्ही सिद्धान्तों पर यह पद्धति आधारित है ।पहला ...
गुरु के दो सिरे है , एक अस्तीत्ववाला और दूसरा अस्तित्वहीन । हम अस्तीत्ववाले सिरे को पकड़कर अस्तीत्ववीहीन सिरे तक की यात्रा करते है ।इसी यात्रा का नाम...
मेरे चैतन्य को अपने पास अनुभव करो तो सब बातों से आपको मुक्ति मिल जाएगी ।या तो तैर कर जीवन की नदी पार करो ,या "समर्पण ध्यान "की नाव से करो ।पर नाव पर बै...
*सारे मनुष्य उस परमात्मा के बच्चे हैं। *परमात्मा एक शक्ति है जिसने मनुष्य को जन्म दिया है। *मनुष्य के माँ-बाप तो निमित्त हैं उसे शरीर, केवल शरीर प्रदान करने में। *वास्तव में म...
एक बड़े शिलाखण्ड पर बहूत बड़ी जोती नज़र आ रही थी ।. . . मै समझ गया . . . कोई मुनि अदृश्य रुप में ध्यान कर रहे थे . . .मै भी ध्यान करने बैठ गया . . . ध्यानस्थ मुनि बोले ,"मैं आपका ही इंतजार कर रहा था . . . आपके माध्यम से ही मेरी मुक्ति संभव है । बाबा स्वामी
*गुरुजी*: मेरी कृपा में कमी नहीं आयेगी, वो बरसती रहेगी; कमी तुम्हारी पात्रता मे आयेगी। तुम्हारी ग्रहण करने की क्षमता में कमी आयेगी..... तुम एक कट़ोरी लेकर आते हो और बोलते हो 10 लिटर ...
आप आपके चित को बचके कैसे रख सकते हो , ये आपकी परीक्षा है। इतनी सारी बातें और इतनी सारी दुनिया की इन्फर्मेशन ( जानकारी) लेके करने का क्या ? बताओ न , इतनी सब इन्फर्मेशन लेके मर जाओग...