गूरूमय
गुरु को देख रहे है यानी अभी गूरूमय हुए नही है ।गूरूमय होने के बाद गुरु दिखता नही ,केवल अनुभव होता है ।और अनुभव होता है केवल चैतन्य ,चैतन्य ,चैतन्य !क्योंकि सदगुरु का इससे अलग कोई अस्तित्व ही नही है ।इसलिए हमे गूरूमय होना होगा ।
ही .स .योग .2/150
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