शिव और शक्ति इन दोनों के बिच ही जीवन है ।
शिव और शक्ति इन दोनों के बिच ही जीवन है ।शिव यानि मनुष्य के शरीर का आत्मा ।उस आत्मा का प्रभुत्व शरीर पर कितना है ,वह आत्मा शरीर के अधीन है या शरीर आत्मा के अधीन है ,इसी बात पर सारा संतुलन निर्भर होता है ।अगर मनुष्य का शरीर आत्मा के अधीन है ,,इसका अर्थ है की आत्मा अपने मूलस्वरूप मे है ,पवित्र है ।और आत्मा पवित्र है तो चित्त भी पवित्र होगा क्योंकि चित्त तो आत्मा का ही प्रकाश है ।तो ऐसे मनुष्य का जीवन संतुलित होगा ,सुरक्षित होगा ।
पूज्य गुरुमाउली
ही .स .योग . . .
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