" सदगूरू " को मानना

" सदगूरू " को  मानना  ही  एक  सकारात्मकता  की  ओर  पहला  क़दम  है ।यानि  अपने  ही  जैसे  मनुष्य  के  भीतर  की  "आत्मा " को  देखना  और  उस  "पवित्र आत्मा " के  चैतन्य  की  अनुभूति  करना ।

बाबा स्वामी

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी