गुरु के दो सिरे है

गुरु  के  दो  सिरे  है ,
एक  अस्तीत्ववाला
और दूसरा  अस्तित्वहीन ।
हम  अस्तीत्ववाले  सिरे  को  पकड़कर  अस्तीत्ववीहीन  सिरे  तक  की  यात्रा  करते  है ।इसी  यात्रा  का  नाम  गुरु  है ।गुरु  कोई  व्यक्ति  नही  है ,वह  हमारे  और  परमात्मा  के  बिच  का  पुल  है ।पुल  परमात्मा  नही  है ।पुल  अलग  है  और  परमात्मा  अलग  है ।पर  बिना  पुल  के  परमात्मा  तक  पहुँचा  नही  जा  सकता  है ।हमे  अगर  परमात्मा  तक  पहुँचना  है ,तो  हमे  पुल  का  अवलंब  करना  ही  होगा  और  परमात्मा  तक  पहुँचने  के  लिए  पुल  के  ऊपर  से  जाना  होगा ।अपने -आपको  पुल  को  समर्पित  करना  होगा ।

ही .स .योग .2/148

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