गुरू गहरे कुएँ जैसे होते है
ये गुरू गहरे कुएँ जैसे होते है | अगर आपको' ' प्यास लगी है और आपको पानी चाहीए तो 'आपको' ही रस्सी और बाल्टी लेकर उस गहरे कुएँ से पानी निकालना होगा और पानी पीना होगा | और प्रयत्न नहीं किया तो पानी दिखेगा पर मिलेगा नहीं |इस मार्ग में साधक की इच्छाशक्ति ही महत्वपूर्ण होती है | आपकी कितनी तीव्र इच्छा है, वह महत्वपूर्ण होता है | ये गुरू अपने ही मस्ति में मस्त रहते हैं |
हि.स.यो.
४/२३८
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