मनुष्य का चित्त

"मनुष्य का चित्त अगर किसी वस्तु पर जाता है ,  तो उसका चित्त पर थोड़ा सा प्रभाव होता है | लेकिन एक ही वस्तु पर बार  बार जाता है 'या' किसी मनुष्य पर जाता है ,तो उसका अधिक प्रभाव होता है | और एक ही व्यक्ति पर बार बार जाता है ,तो उसमे चित्त नष्ट ही हो जाता है |कहीं भी चित्त गया तो क्षणिक होना चाहिए जैसे पानी का एक बुलबुला क्षण में उभरा और क्षण में ही समाप्त हो गया या कहीं चित्त गया तो दूसरे क्षण हट जाना चाहिए | चित्त इतना नियंत्रित होना चाहिए |चित्त पर नियंत्रण करने का अभ्यास करना होता है | यह कुछ समय में होने वाली घटना नहीं है | "

हि.स.यो.१/२०८

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